
उज्जैन, 24 मार्च 2025। महाराजा विक्रमादित्य शोध पीठ द्वारा विक्रमादित्य, उनके युग, भारत उत्कर्ष, नवजागरण और भारत विद्या पर एकाग्र विक्रमोत्स व 2025 अंतर्गत विक्रम नाट्य समारोह के चौथे दिन अतुल सत्य कौशिक निर्देशित चक्रव्यूह का मंच हुआ। प्रस्तुति के माध्यम से संदेश दिया गया कि चक्रव्यूह केवल एक युद्ध कला तक ही सीमित नहीं है बल्कि संपूर्ण जीवन दर्शन के स्तर को समझने की ओर प्रेरित करता है। नाट्य प्रस्तुति में कुरुक्षेत्र की रक्त रंजित धरा को प्रदर्शित किया गया है। इसमें उत्तरा, अर्जुन, द्रोपदी और अन्य परिजनों के मन में भगवान श्रीकृष्ण से पूछे जाने वाले सवालों का उत्तर रखा गया है।अंततः श्रीकृष्ण का शाश्वत सत्य संदेश कि कोई भी अपने कर्मों में रचे गए स्वयं के चक्रव्यूह से कभी मुक्त नहीं हो सकता है। इसके पहले इसके पहले महाराजा विक्रमादित्य शोधपीठ के निदेशक श्रीराम तिवारी, विक्रम विश्वविद्यालय के वरिष्ठ कार्यपरिषद सदस्य राजेश कुशवाह, विक्रम विश्वविद्यालय के वरिष्ठ पुराविद डॉ. रमण सोलंकी ने कलाकारों का स्वागत किया।
नाटक के सूत्रधार स्वयं चक्रधारी श्रीकृष्ण थे। श्रीकृष्ण की छवि को जीवंत करके अभिनेता नितीश भारद्वाज अपने छंदमय संवाद से हर दर्शक को स्तब्ध कर दिया। अभिमन्यु के वध के मार्मिक दृश्यों ने दर्शकों के आँखों में पानी ला दिये। गर्भवती उत्तरा की वेदना को विराम देकर श्रीकृष्ण ने जब कहा कि तू अभिमन्यु की अर्धागिंनी है। तुझे अंधकार नहीं छलता है। कर्म बंधन और स्वयं के निर्णय ही चक्रव्यूह की रचना करते हैं। स्वयं भगवान भी जीवन में होने वाले महाभारत को नहीं रोक सकते हैं।

इस नाटक के कलाकार जिन्होंने इसे मंच पर प्रस्तुत किया।
कृष्णा- अभिनेता डॉ. नितीश भारद्वाज
दुर्योधन – भानु प्रताप सिंह
कर्ण – कमल कुमार
शकुनि – डॉ. नवीन कुमार
दुःशासन – दिगान्त शर्मा
अश्वत्थामा – मनमीत सिंह
द्रोणाचार्य-तरुण डंग
कृपाचार्य-कमलेश ओझा
अभिमन्यु – साहिल छाबड़ा
उत्तरा – सुष्मिता मेहता
सुभद्रा – लतिका जैन
युद्धिष्ठिर – गौरव शर्मा
भीष्म पितामह – ललित भारद्वाज
अर्जुन-भानु प्रताप सिंह
दूत – दिगान्त शर्मा

आज की प्रस्तुति महादेव
समारोह के पाँचवें दिन 25 मार्च 2025 को सायं 07:00 बजे कालिदास अकादमी के बहिरंग मंच पर सम्पत सिंह राठौर एवं अभिषेक भरायण द्वारा निर्देशित महादेव का मंचन होगा। इसी क्रम में 26 मार्च को मध्यप्रदेश नाट्य विद्यालय, भोपाल द्वारा तैयार किया गया वराहमिहिर की प्रस्तुति होगी। इस नाट्य प्रस्तुति को निर्देशक लोकेन्द्र त्रिवेदी ने निर्देशित किया है। 27 मार्च को त्रिवेंद्रम की संस्था द्वारा कर्णभार का मंचन होगा जिसका निर्देशन नारायणी पणिक्कनर द्वारा किया गया है। 28 मार्च को राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय, नई दिल्ली द्वारा तैयार किया नाटक अभिज्ञान शाकुंतलम् की प्रस्तुति होगी। जिसका निर्देशन राजेश सिंह द्वारा किया गया है। समारोह के अंतिम दिन मध्य प्रदेश नाट्य विद्यालय द्वारा तैयार किया गया नाटक मृच्छकटिकम् का मंचन होगा। जिसका निर्देशन मध्यप्रदेश नाट्य विद्यालय के निदेशक टीकम जोशी द्वारा किया गया है।
