Lord Shiv : शिवलिंग पर जलधारी पात्र रखा जाता है?

भोपाल।शिवलिंग पर जलधारा चढ़ाने की परंपरा धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है। इस परंपरा के पीछे कई गहरे अर्थ छिपे हैं:
शिवलिंग की ऊष्मा को शांत करने के लिए:
शिव को परम तेजस्वी और ऊर्जा से भरपूर माना गया है। उनकी शक्ति को संतुलित रखने के लिए उनके ऊपर निरंतर जल चढ़ाया जाता है। इससे शिवलिंग की ऊर्जा शांत रहती है और वातावरण में भी सकारात्मकता बनी रहती है।
समुद्र मंथन की कथा से जुड़ी मान्यता:
जब समुद्र मंथन हुआ था, तब निकले विष (हलाहल) को शिवजी ने पी लिया था। विष के प्रभाव से उनका शरीर गर्म हो गया। तब देवताओं ने उन पर जल चढ़ाया ताकि वह शीतल हो सकें। उसी परंपरा को आज भी श्रद्धा से निभाया जाता है।
मन की शुद्धि और भक्ति का प्रतीक:
जल शुद्धता और पवित्रता का प्रतीक है। शिवलिंग पर जल चढ़ाने से मन शांत होता है, अहंकार दूर होता है और भक्ति की भावना प्रबल होती है। मटके से बूँद-बूँद गिरता जल यह दर्शाता है कि भक्त का प्रेम निरंतर बहता रहे।
जल का धार्मिक और प्राकृतिक महत्व:
जल जीवन का आधार है। शिवजी को जल अर्पित करना प्रकृति और जीवन के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने का माध्यम भी है।