
नई दिल्ली। पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद को लेकर भारत ने आज ऐतिहासिक और कड़े कदम उठाते हुए अपनी नीति में बड़ा बदलाव किया है। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने बुधवार को प्रेस वार्ता के दौरान यह स्पष्ट किया कि हालिया आतंकवादी हमले की गंभीरता को देखते हुए सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (CCS) ने आपात बैठक में कई बड़े और निर्णायक फैसले लिए हैं।
सिंधुजलसंधि पर विराम
विदेश सचिव ने घोषणा करते हुए कहा, “भारत सरकार 1960 की सिंधु जल संधि को तत्काल प्रभाव से स्थगित कर रही है। यह स्थगन तब तक लागू रहेगा जब तक पाकिस्तान विश्वसनीय और अपरिवर्तनीय रूप से सीमा पार आतंकवाद के लिए अपने समर्थन को पूरी तरह समाप्त नहीं करता।” यह कदम भारत-पाक संबंधों में ऐतिहासिक मोड़ की ओर इशारा करता है, क्योंकि सिंधु जल संधि को अब तक एक ‘जल कूटनीति’ का उदाहरण माना जाता था, जो शांति के समय भी कायम रही थी।
अटारी चेकपोस्ट होगा बंद
भारत सरकार ने अटारी सीमा पर स्थित एकीकृत चेकपोस्ट को भी तत्काल प्रभाव से बंद करने का निर्णय लिया है। केवल वही लोग जो वैध दस्तावेजों के साथ पहले ही भारत आ चुके हैं, उन्हें 1 मई 2025 से पहले उसी मार्ग से लौटने की अनुमति दी जाएगी।
SAARC वीजा छूट योजना पर रोक
पाकिस्तानी नागरिकों के लिए SAARC वीजा छूट योजना भी अब प्रभावी नहीं रहेगी। सभी पूर्व में जारी SVES वीजा रद्द माने जाएंगे। वर्तमान में SVES वीजा के तहत भारत में रह रहे पाकिस्तानी नागरिकों को 48 घंटे के भीतर देश छोड़ने का निर्देश दिया गया है।
पाकिस्तानी उच्चायोग के सैन्य अधिकारी घोषित हुए ‘अवांछित’
नई दिल्ली स्थित पाकिस्तानी उच्चायोग में तैनात रक्षा, सैन्य, नौसेना और वायु सलाहकारों को भारत सरकार ने ‘अवांछित व्यक्ति’ (Persona Non Grata) घोषित किया है। उन्हें एक सप्ताह के भीतर भारत छोड़ने को कहा गया है। यह कदम दोनों देशों के सैन्य-सामरिक संवाद को औपचारिक रूप से निलंबित करने की दिशा में एक बड़ा संकेत है।
भारतीय सैन्य अधिकारी भी होंगे वापस बुलाए
साथ ही, भारत ने इस्लामाबाद स्थित भारतीय उच्चायोग से अपने सभी रक्षा, नौसेना और वायु सलाहकारों को तत्काल प्रभाव से वापस बुलाने की घोषणा की है। यह स्पष्ट किया गया है कि इन पदों को अब निरस्त माना जाएगा।
बढ़ती चिंताओं के बीच भारत का स्पष्ट संदेश
इन फैसलों से यह स्पष्ट है कि भारत अब पाकिस्तान के साथ अपने संबंधों की समीक्षा में पूरी तरह सख्ती बरत रहा है। सरकार ने इस बात पर भी बल दिया कि ये कदम भारत की संप्रभुता, सुरक्षा और शांति के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं।
इन नीतिगत निर्णयों का असर न केवल भारत-पाक रिश्तों पर पड़ेगा, बल्कि दक्षिण एशिया की कूटनीतिक स्थिति को भी प्रभावित करेगा। अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी इन कड़े निर्णयों की गूंज सुनाई दे सकती है।
आगे की रणनीति पर नजर
सरकार ने स्पष्ट किया है कि आगे किसी भी प्रकार की बातचीत या संवाद की संभावना तब तक नहीं बन सकती जब तक कि पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद पर ठोस, पारदर्शी और विश्वसनीय कार्रवाई नहीं करता।