Bhopal : अहिल्याबाई का अद्भुत तेज, नाटक के मंचन ने दर्शकों को बांधे रखा
लोकमाता देवी अहिल्याबाई होल्कर की 300 वीं जयंती के उपलक्ष्य में प्रदेश में कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है।

भोपाल। जहां नारी का सम्मान नहीं, वहां सुख, समृद्धि कभी वास नहीं करती, देवता भी वहां से पलायन कर जाते हैं। लोकमाता देवी अहिल्याबाई होल्कर का किरदार निभाते हुए जब कलाकार ने ये कहा, तो दर्शकदीर्घा में बैठे दर्शकों के रोंगटे खड़े हो गए। बहुत ही सुंदर मंचन, अनुपम संगीत और कलाकारों के बेजोड़ अभिनय ने दर्शकों को बांधे। कुछ देर के लिए लगा जैसे माना स्वयं देवी अहिल्याबाई सामने मौजूद हैं। उनके लोक कल्याणकारी कार्य और न्याय व्यवस्था के संबंध में भी इस नाटक के माध्यम से जानने मिला, जो कि हमारी वर्तमान और भावी पीढ़ी के लिए अति आवश्यक है।

लोकमाता देवी अहिल्याबाई होल्कर की 300 वीं जयंती के उपलक्ष्य में प्रदेश में कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। इसी कड़ी में राजधानी में देवी अहिल्याबाई के जीवन पर आधारित नाट्य मंचन किया गया। साहित्यकार डॉ. साधना बलवटे ने नाटक अहिल्या रूपेण संस्थिता लिखा है। इस महानाट्य का मंचन मप्र संस्कृति विभाग द्वारा प्रदेश के अलग-अलग जिलों में किया जा रहा है, जिसमें पहला मंचन 22 मई को उज्जैन में हुआ, जिसमें सीएम डॉ. मोहन यादव भी उपस्थित रहे थे।

इस महानाट्य की निर्देशक प्रियंका शक्ति ठाकुर और लेखिका डॉ. साधना बलवटे हैं। निराला सृजन पीठ की निदेशक व साहित्यकार डॉ. साधना बलवटे ने बताया कि मेरी पूरी शिक्षा-दीक्षा इंदौर में हुई। मेरा ननिहाल महेश्वर का है तो मेरा जुड़ाव अहिल्या बाई के व्यक्तित्व से होना स्वाभाविक था। मैंने अहिल्या बाई के जीवन पर इसी साल नाटक लिखा और फिर इसे नेशनल बुक ट्रस्ट (एनबीटी) को भेजा, जहां से इसका प्रकाशन हुआ। इसके बाद मैंने सोचा कि हर आयु वर्ग तक इसे पहुंचाने के लिए इस पुस्तक पर नाट्य मंचन होना चाहिए।
मैंने देश की जानी-मानी रंगकर्मी प्रियंका शक्ति ठाकुर से संपर्क किया क्योंकि वे इस तरह के किरदार बहुत गहराई से निभाती हैं। नाटक में मराठी के शब्दों का भी इस्तेमाल किया है क्योंकि अहिल्या बाई का जन्म महाराष्ट्र में हुआ लेकिन कर्मभूमि निमाड़ रही। मैं चाहती हूं कि बच्चे-बड़े सभी यह नाटक देखें।

ज्योतिषी ने कहा था राजयोग होगा
उनके राज्य में भील पर्याप्त संख्या में थे इस कारण निमाड़ी बोली के शब्द तथा गीतों का प्रयोग भी किया गया है जिससे भाषा वैविध्य के साथ ही स्थानीयता का पुट भी नाटक में है। इस नाटक का मंचन उज्जैन के बाद, ग्वालियर, नर्मदापुरम में हो चुका है और अब 28 मई को बैतूल में इसका मंचन होगा। नाटक में दिखाया है अहिल्या बाई के पिता को ज्योतिषी ने बताया था कि उनकी बेटी के जीवन में राजयोग है लेकिन उनका पूरा जीवन संघर्ष में बीतेगा और ऐसा ही हुआ। अपने जीवन काल में अपने 29 प्रियजनों की मृत्यु देखी किन्तु फिर भी वे कभी अपने कर्तव्य से विमुख नहीं हुई।
आक्रांता मुगलों द्वारा तोड़े गए हजारों मंदिरों का जीर्णोद्धार, लाखों जलस्त्रोतों का निर्माण धर्मशालाओं के निर्माण में उनका अभूतपूर्व योगदान रहा। इस नाटक में देवी अहिल्या बाई होलकर के सभी पहलुओं को दिखाने का प्रयास किया है, जिसमें स्त्री सेना का गठन, कपास की फसल को प्रोत्साहन, फिर बुनकरों का प्रशिक्षण एवं हथकरघा उद्योग की स्थापना दिखाई है। साथ ही स्त्री शिक्षा, विधवा स्त्रियों को अधिकार, प्रजा के साथ न्याय करने के लिए अपने पुत्र को भी दण्ड और समय पड़ने पर युद्ध लड़ कर शत्रु को परास्त करने के प्रसंग शामिल हैं।
सेविका की भूमिका में :- आरती, कीर्ती, करिश्मा स्नेहल, काजल
बाल कलाकार
छोटे भाई खंडेराव की भूमिका मे विराज ठाकुर
छोटी अहिल्या की भूमिका में :- युव्रणों चिलबुल सहित, विहान ठाकुर, श्रीमयी, श्रविणी
मार्गदर्शक— सलिम शेख
प्रोडक्शन हेड— रुचिता चिलबुले
Back Stage team
1) आयुष तिवारी
2) रोहन अग्रवाल
3) नील केळकर
4) रुद्राक्ष सर राजुरिया
5) छकुली जाधव
अनंत धुलझे
गौतमा की भुमिका में डॉ. स्वप्सगंधा खाती
बाजीराव की भूमिका में गंगोबा तात्या की भूमिका में शांतनु मंगरूळक, नचिकेत म्हसाळकर
6) खंडेराव की भूमिका में मोहन काळबांडे, कद्राक्ष राजुरिया
7) मानकोजी की भूमिका में 6) सुशिला की भूमिका में योगेश राऊत
१) हरकुबा बाई की भूमिका में प्रणाली राऊत
10) ओनंदीबाई की भूमिका में सोनाली तांबे
11) वृद्धा स्त्री की भूमिका में विजया शिन्दे, बेबीनंदा खरकर
12) दीवान रघुनाथ की भुमिका में बटेश्वरानंद पंडीत की भूमिका में पारस फुले
13) राघोबा पेशवा की भूमिका में जितेन्द्र शिन्द्रे पंडीत रामेश्वर की भुमिका में में सारनाथ रामटेके
15) भिकारी की भूमिका में अजय खोब्रागड
16) व्यापारी एवं धर्मपाल की भूमिका:- रोहन अग्रवाल
सैनिक की भूमिका में— आर्यन, हेमंत रोशन