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Ram Darbar: 3 दिन में 54 कारीगरों ने बनाए राम दरबार के 51 आभूषण और अस्त्र-शस्त्र

नई दिल्ली। मुकुट कुंडल तिलक चारू उदारू अंग विभूषणं । आजानुभुज शर-चाप-घर, संग्राम-जित-खरदूषणं ।।

अर्थात मस्तक पर रत्नजटित मुकुट, कानों में कुण्डल, भाल पर सुन्दर तिलक और प्रत्येक अंग में सुन्दर आभूषण सुशोभित हो रहे हैं, जिनकी भुजाएं घुटनों तक लंबी है, जो धनुष-बाण लिए हुए हैं, जिन्होंने संग्राम में खर-दूषण को जीत लिया। लगभग 500 वर्ष पहले तुलसीदास जी ने राम स्तुति की रचना करते हुए श्रीराम के आभूषणों का वर्णन इस तरह किया था। त्रेता युग में अवतरित श्री राम के इन आभूषणों का निर्माण उस युग में किसने किया था।

जयपुर में बने राम दरबार के 51 आभूषण व अस्त्र-शस्त्र

आभूषण निर्माण कंपनी के के संचालक मनीष, संदीप व कुशल खूंटेटा ने बताया कि डिजायन से कीमती रत्नों की सेंटिंग तक सब जयपुर के कारीगरों ने किया है। तीन दिन चार कारखानों में 54 कारीगरों ने 11 मुकुट, चार धनुष, दो हनुमान गदा और 33 अस्त्र-शस्त्र का निर्माण किया।

कारीगरों ने 11 मुकुट, 4 धनुष, 2 गदा बनाए

हर हनुमान गदा का वजन 600 ग्राम के करीब है। ये हैंडमेड हैं। इन्हें लकड़ी की डाई पर बनाया गया है।

चांदी से बने धनुष 1400-1400 ग्राम के हैं। तीर 200-200 ग्राम के हैं। सभी पर 24 कैरेट सोने की परत है।

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