सोनम रघुवंशी केस में कहीं पुलिस ने ही तो नहीं रची पूरी गुत्थी, खड़े हो रहे कई सवाल ?
पूरे मामले में यह भी कहा जा रहा है कि ये शिलांग पुलिस की अपनी गुत्थी है, मामला हाईप्रोफाइल होने की वजह से पुलिस ने खुद की रेपोटेशन बचाने के लिए ये साजिश रची है और उसे पूरे केस का रुप देकर अमलीजामा पहना दिया।

इंदौर। मैं निर्दोष हूं, मेरा अपहरण किया गया था। मैं इस मामले में आरोपी नहीं बल्कि पीड़ित है। ये बात सोनम ने यूपी पुलिस से उस वक्त कही जब उसे काशी ढाबे में पाया गया। उसने ढाबा मालिक से कहा— शिलॉन्ग में उसके पति की लुटेरों के साथ भिड़ंत हुई। इसमें लुटेरों ने पति को मार दिया। वो जान बचाकर यहां तक पहुंची। थोड़ी देर बाद रात करीब ढाई बजे पुलिस सोनम को अपने साथ ले गई। ढाबा मालिक साहिल ने भी पुलिस को यही बताया। इसके बाद एक नई थ्योरी सामने आती है जिसमें सोनम को ही मुख्य आरोपी बताया जा रहा है और कहा जा रहा है कि उसी ने अपने प्रेमी राज की खातिर उसके साथियों के साथ मिलकर अपने पति राजा रघुवंशी की हत्या कर दी।
मेघालय के ईस्ट खासी हिल्स के एसपी विवेक स्येम आत्मविश्वास से भरे नजर आते हैं। मेघालय पुलिस के पास कुछ ऐसे सबूत हैं, जिनके आधार पर वह सोनम के मुख्य आरोपी होने का दावा कर रही है। एसपी स्येम कहते हैं, हमें यकीन हो गया कि इसमें सोनम का हाथ है, तभी हमने अपनी दो टीमों को एमपी और यूपी रवाना किया था, लेकिन यहां कई ऐसे सवाल हैं जो अब तक सुलझते दिखाई नहीं देते।
एक— पति ही हत्या के बाद इतने दिनों तक सोनम कहां थी, क्या वह अपने कथित प्रेमी राज के संपर्क में थी ? राज, जिसकी उम्र अभी मात्र 20 साल है अपनी मां और बहन के साथ सोनम के पिता की कंपनी में एक मामूली सा कर्मचारी था और सोनम से न सिर्फ पांच साल छोटा था, बल्कि अति सामान्य कद काठी का दिखाई देता था, जबकि उसका पति न सिर्फ खूबसूरत बल्कि इंदौर के जाने—माने रहीस परिवार से भी था।
दो— जब सोनम ने दोपहर में अपनी सास से बात की तो उसने कहा— मैंने इनसे कह दिया है घूमने फिरने के चक्कर में मैं अपना व्रत नहीं तोड़ूंगी, सास से उसने यह भी कहा कि यहां कुछ खाने—पीने का अच्छा नहीं है, अभी एक कॉफी पी वह भी ऐसी थी कि क्या पी लिया, बातचीत का यह तरीका बहुत ही सामान्य था, माना जा रहा है कि इसके एक घंटे के भीतर ही राजा की हत्या कर दी गई थी।
तीन— उत्तर प्रदेश के गाजीपुर पहुंची मेघालय पुलिस ने इंदौर की सोनम रघुवंशी को कस्टडी में लिया। CJM कोर्ट ने 72 घंटे की रिमांड दी। इससे पहले पुलिस ने उसका जिला अस्पताल में मेडिकल कराया, जहां उसे दौड़ाते हुए अंदर ले जाया गया। सोनम डरी-सहमी नजर आई। अगर वह कातिल है तो उसे डरने की या इस हालत में होने की क्या जरूरत थी ? उसके शरीर पर कोई चोट के निशान नहीं थे, लेकिन किसी भी तरह के गहने भी उसके शरीर पर नहीं थे।
चार— पति राजा रघुवंशी की हत्या के 17 दिन बाद सोनम 8 जून की आधी रात गाजीपुर में एक ढाबे पर बदहवास हालत में मिली थी। सोनम को वन स्टॉप सेंटर में करीब 18 घंटे पुलिस की निगरानी में रखा गया। सोनम ने काले रंग की टी-शर्ट और लोअर पहन रखा था। बाल बिखरे हुए थे। ऐसा लग रहा था कि वह कई दिनों से सोई नहीं है। ढाबा मालिक साहिल ने बताया कि वह करीब डेढ़ घंटे ढाबे पर रही सिर्फ चाय बिस्किट खाया, गुमसुम बैठी रही कुछ बोल नहीं पा रही थी, अगर वह मर्डरर होती तो क्या इस हालत में होती?
पांच— उसका तथाकथित प्रेमी राज, इंदौर में था जबकि वह पैसे वाले संपन्न परिवार से होने के बावजूद यहां से वहां भागती फिर रही थी, जब वह ढाबे पर पहुंची तो अकेली थी। उसके पास कोई फोन भी नहीं था, जिससे वह अपने परिवार या किसी दूसरे व्यक्ति से संपर्क कर सकती, उसने ढाबे वाले साहिल का फोन लेकर ही अपने भाई को फोन किया था अगर वही मुख्य आरोपी है तो उसके पास एक मोबाइल भी क्यों नहीं था? उसे इस हालत में अकेले 17 दिनों तक घूमने की क्या जरूरत थी?
छ:— राजा के भाई ने बताया कि जब वे सोनम के भाई के साथ दोनों को ढूंढने सोरा पहुंचे तो पुलिस ने उनकी मदद नहीं की, बल्कि कहा कि ढूंढते रहो मिल जाएंगे, उन्होंने यह भी बताया कि सोरा में उन्हें पता चला कि यहां स्थानीय लोगों की तरह नहीं दिखने वाले बाहरी लोगों के साथ ही वारदात होती हैं, जिनमें मध्यप्रदेश, यूपी, पंचाब और विदेशी टूरिस्ट शामिल होते हैं।
सात— पुलिस के पास इस बात का कोई जवाब नहीं कि राज और विशाल कैसे संपर्क में आए, सभी आरोपी और सोनम खुद की उम्र काफी कम है। हालांकि ये भी कहा जा रहा है कि सोनम के कॉल रिकॉर्ड में राज का नंबर राजा से ज्यादा मिला है, लेकिन सिर्फ इस आधार पर उन दोनों को प्रेमी नहीं कहा जा सकता, क्योंकि वह सोनम के पिता की कंपनी में बेहद अदना सा कर्मचारी था, और सोनम का व्यवहार सभी से अच्छा था तो वह उससे भी उसी आधार पर बात कर सकती थी।
और भी हैं कई सवाल
- गाइड लाश मिलने के पांच दिन बाद सामने क्यों आया, जबकि लोकल गाइड की नैतिक जिम्मेदारी होती है कि मामले में गतिविधियां संदिग्ध होने पर तुरंत ही पुलिस को सूचित करे।
- राजा और सोनम के भाई जब सोरा पहुंचे तो पुलिस ने बाहरी पर्यटक होने के बाद भी उनका सहयोग क्यों नहीं किया, उनकी बात क्यों नहीं सुनी गई। वे दोनों अकेले ही उन्हें तलाशने जंगल की ओर गए।
- जिस हथियार से राजा की हत्या की गई उसे लेकर भी कई तरह की बातें सामने आ रही हैं, जिसमें ये कहा जा रहा है कि सोनम ने डाओ नाम के उस हथियार को ऑनलाइन ऑर्डर किया था, जबकि अगर ऐसा था तो राजा को साथ होने के बाद भी इसकी भनक क्यों नहीं लगी। वहीं यह भी कहा जा रहा है कि इस हथियार को गुवाहाटी से ही खरीदा गया था। इस मामले में भी पुलिस पक्की जानकारी नहीं दे रही है।
- पहले मामले में दोनों के भाई अकेले की उन्हें तलाशते रहे, जब इंदौरी नेता और खुद सीएम डॉ. मोहन यादव ने मेघालय के सीएम से बात की तब जाकर मामले पर पुलिस गंभीर हुई। सांसद शंकर लालवाणी खुद गुवाहाटी पहुंचे और दोनों की तलाश शुरू की, इसके बाद गुवाहाटी पुलिस ने अपनी इमेज बचाने की खातिर सर्चिंग बढ़ाई।
- सोरा सहित मेघालय के प्रमुख पर्यटन स्थानों पर स्थानीय गैंग सक्रिय रहती है जो बाहरी लोगों के साथ घटना को अंजाम देती है, पुलिस को इसकी जानकारी होने के बाद भी अब तक किसी भी गैंग को न ही पकड़ा गया और न ही गुम हुए लोगों की तलाश की जाती है, उनके परिजन खुद उन्हें ढूंढने आते हैं और सफल न होने पर एक दिन वापस लौट जाते हैं, लेकिन स्थानीय पुलिस का उन्हें कोई सहयोग नहीं मिलता, अब तक ऐसे कई केस वहां से सामने आ चुके हैं।
पिता देवी सिंह ने इस बात को मानने से साफ इनकार कर दिया है कि उनकी बेटी ने अपने पति की हत्या कराई होगी। उनका कहना है कि मेरी बेटी बेगुनाह है। मेघालय पुलिस ने उसे फंसाने के लिए झूठी कहानी गढ़ी है। हमारे बच्चे ऐसा नहीं कर सकते। उन्हें ऐसी शिक्षा नहीं दी गई है। मेरी बेटी 25 साल की है, कोई 10 साल की नहीं।
मां संगीता रघुवंशी ने कहा- हम चाहते हैं कि जल्द से जल्द सीबीआई जांच शुरू हो, ताकि मेरी बेटी जल्द से जल्द घर आ सके। हम उम्मीद लगाए बैठे हैं कि अब कुछ पता चलेगा, लेकिन कुछ पता नहीं चल रहा है। हम चाहते हैं कि जल्द से जल्द हमारी बेटी मिल जाए।
पूरे मामले में यह भी कहा जा रहा है कि ये शिलांग पुलिस की अपनी गुत्थी है, मामला हाईप्रोफाइल होने की वजह से पुलिस ने खुद की रेपोटेशन बचाने के लिए ये साजिश रची है और उसे पूरे केस का रुप देकर अमलीजामा पहना दिया।