Tiranga : भीकाजी कामा भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की एक अद्वितीय नायिका थीं, जिन्होंने न केवल ब्रिटिश शासन के खिलाफ संघर्ष किया, बल्कि भारत के पहले तिरंगे झंडे को भी डिजाइन किया। उनके इस योगदान ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और उन्हें देशभक्ति की प्रतिमूर्ति बना दिया।
प्रारंभिक जीवन और संघर्ष
भीकाजी कामा का जन्म 24 सितंबर 1861 को मुंबई में एक पारसी परिवार में हुआ था। उनका पूरा नाम भीकाजी रुस्तम कामा था। बचपन से ही वे एक उज्ज्वल बुद्धि और दृढ़ निश्चय वाली महिला थीं। उनका विवाह रुस्तम कामा से हुआ, जो एक अमीर वकील थे, लेकिन उनके विचारों में मतभेद के कारण वे सामाजिक कार्यों और स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय हो गईं।उनकी जीवन यात्रा का सबसे बड़ा मोड़ तब आया जब वे भारत छोड़कर यूरोप चली गईं। वहां उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता के लिए यूरोप में भारतीय क्रांतिकारियों के साथ मिलकर काम करना शुरू किया। वे भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के प्रति समर्पित रहीं और विदेश में रहकर भी भारतीयों की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करती रहीं। Tiranga
तिरंगे का निर्माण
1907 में, भीकाजी कामा ने जर्मनी के स्टटगार्ट शहर में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय समाजवादी सम्मेलन में भाग लिया। इस सम्मेलन में उन्होंने पहली बार भारतीय तिरंगे झंडे को प्रस्तुत किया। यह झंडा उनके द्वारा डिज़ाइन किया गया था और इसे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का प्रतीक माना गया।भीकाजी कामा द्वारा डिजाइन किए गए इस तिरंगे में तीन रंग थे—केसरिया, हरा और लाल। केसरिया रंग हिंदू धर्म का, हरा रंग इस्लाम का और लाल रंग अन्य धर्मों का प्रतिनिधित्व करता था। झंडे के बीच में ‘वन्दे मातरम्’ लिखा हुआ था और इसमें आठ कमल के फूल और एक चंद्रमा और सूर्य का प्रतीक भी था। यह झंडा भारतीय स्वतंत्रता की आकांक्षा का प्रतीक बन गया और देशभक्ति के भाव को उभारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
स्वतंत्रता संग्राम में योगदान
भीकाजी कामा ने केवल तिरंगे का तत्कालीन स्वरूप ही नहीं दिया , बल्कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय रूप से भाग लिया। वे अपने जीवन को स्वतंत्रता के लिए समर्पित करते हुए ब्रिटिश शासन के खिलाफ आवाज उठाती रहीं। उन्होंने यूरोप में भारतीयों के लिए कई पत्र-पत्रिकाओं का संपादन किया और भारतीय स्वतंत्रता के मुद्दे को वैश्विक मंच पर उठाया। उनका जीवन संघर्ष, समर्पण और बलिदान का प्रतीक है। वे भारतीय महिलाओं के लिए प्रेरणा स्रोत बनीं और उन्हें स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने के लिए प्रेरित किया। Tiranga