Ajmer Dargah : अजमेर शरीफ दरगाह, राजस्थान के अजमेर शहर में स्थित है, जो सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की मजार है.इसे इस्लामी आस्था का प्रमुख केंद्र माना जाता है.12वीं सदी में ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती का आगमन भारत में हुआ, और उनकी शिक्षाओं ने समाज को भाईचारे और मानवता का संदेश दिया .उनके भाईचारे और मानवता की विचारधारा को लेकर उन से हर धर्म संमप्रदाय के लोग प्यार करते थे.Ajmer Dargah
दरगाह का निर्माण ख्वाजा साहब के निधन के बाद उनके अनुयायियों द्वारा शुरू किया गया.इसका मुख्य गुम्बद 16वीं सदी में मुगल सम्राट हुमायूं ने बनवाया, जबकि अन्य संरचनाएं अकबर और शाहजहां के शासनकाल में जुड़ीं। अकबर ने यहां पैदल यात्रा कर चादर चढ़ाई थी, जो आज भी एक परंपरा बनी हुई है।Ajmer Dargah
हालांकि, अजमेर दरगाह पर कई विवाद भी जुड़े हैं. धार्मिक स्थलों के ऐतिहासिक तथ्यों और स्वरूप को लेकर भी बहस होती रही है.हिंदू लोग यहां शिव मंदिर होने का दावा करते है.हाल ही में हिंदू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता की ओर से दायर याचिका को अजमेर सिविल कोर्ट ने बुधवार को स्वीकार कर लिया है. मामले की अगली सुनवाई 20 दिसंबर को है.अजमेर शरीफ दरगाह मामले पर असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि दरगाह पिछले 800 वर्षों से वहां मौजूद है.
उन्होंने बताया कि नेहरू से लेकर अब तक के सभी प्रधानमंत्रियों ने इस दरगाह पर चादर भेजी है.उन्होंने कहा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी हर साल यहां चादर भेजते रहे हैं.इसके बावजूद, अजमेर दरगाह लाखों श्रद्धालुओं के लिए आस्था का प्रतीक है, जो यहां मनोकामनाएं पूरी होने की उम्मीद से आते हैं.यह स्थान न केवल धार्मिक, बल्कि सांस्कृतिक एकता का प्रतीक भी है.Ajmer Dargah