Birsa Munda Jayanti : आदिवासियों के भगवान बिरसा मुंडा एक ऐसे महा नायक थे जिन्होंने आदिवासी लोगों को अंधविश्वास और भारतीय जमींदारों और ब्रिटिश सरकार के शोषण, बाबा वैरागी के पाखंड से बचाया ।बिरसा मुंडा के कामों को देखते हुए उन्हें उनके समय के एकलव्य और स्वामी विवेकानन्द कहना गलत नहीं होगा ।बिरसा मुंडा, आदिवासी समाज के महान नायक के साथ भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के क्रांतिकारी थे जिनका संघर्ष न केवल अंग्रेजों के खिलाफ था, बल्कि आदिवासियों की सामाजिक, सांस्कृतिक और धार्मिक को पुनर्जीवित करने के लिए था।बिरसा मुंडा को धरती आबा भी कहा जाता है इन पर धरती आबा नाम से एक फिल्म भी बनाई गई थी।आदिवासी को एक अच्छा जीवन देने के लिए उन्होंने उन्हें तीन स्तरों पर संगठित कियाBirsa Munda Jayanti
संगठित संघर्ष के तीन स्तर
बिरसा मुंडा ने आदिवासी समुदाय को पहले सामाजिक जागरूकता के लिए एकजुट किया। ब्रिटिश शासन के दौरान आदिवासियों की ज़मीनें, परंपराएँ और संस्कृति संकट में थीं। बिरसा ने आदिवासी समुदाय को अपनी पहचान और अधिकारों के लिए संघर्ष करने के लिए प्रेरित किया।
दूसरे स्तर पर, बिरसा मुंडा ने धार्मिक और सांस्कृतिक आंदोलन का सूत्रपात किया। उन्होंने आदिवासियों को हिंदू धर्म की बेड़ियों से मुक्त कर अपनी पारंपरिक आस्थाओं को पुनः स्थापित करने की दिशा में काम किया। ‘बिरसा धर्म’ की स्थापना कर उन्होंने अपने समाज को एक नया आस्था केंद्र दिया।
तीसरे स्तर पर, बिरसा मुंडा ने ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ संगठित विद्रोह का नेतृत्व किया। 1899 में उनका “उलगुलान” आदिवासी आंदोलन ने ब्रिटिश शासन को हिला दिया और आदिवासियों के बीच जागृति का सूत्रपात किया। यह विद्रोह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महत्वपूर्ण अध्याय के रूप में दर्ज हुआ।Birsa Munda Jayanti
बिरसा मुंडा क्यों हैं भगवान?
आदिवासी समाज में बिरसा मुंडा को भगवान के रूप में पूजा जाता है। उनका नेतृत्व और संघर्ष ने आदिवासियों को न केवल अपनी ज़मीन और अधिकारों के लिए लड़ने का साहस दिया, बल्कि उनकी धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान को भी सशक्त किया। बिरसा का जीवन आदिवासी समाज के लिए एक प्रेरणा बन चुका है, जिससे उन्हें ‘धरती आबा’ या ‘भगवान बिरसा’ के रूप में पूजा जाता है।
बिरसा मुंडा का जीवन न केवल एक स्वतंत्रता सेनानी के रूप में, बल्कि एक समाज सुधारक और धार्मिक नेता के रूप में भी अनमोल है। उनके योगदान को आदिवासी समाज आज भी सम्मान और श्रद्धा से याद करता है, और उनके संघर्ष को नमन करता है।बिरसा मुंडा की यादें और उनका संघर्ष आज भी भारतीय समाज के हर हिस्से में जीवित हैं, और उनके द्वारा दिखाए गए रास्ते पर चलने का संकल्प आज भी लाखों लोग लेते हैं।आपको बता दे,मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि 15 नवम्बर को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाई जाने वाली भगवान बिरसा मुंडा की जयंती पर धार और शहडोल में राज्य स्तरीय कार्यक्रम होंगे,जिन्हें प्रधानमंत्री मोदी वर्चुअली संबोधित करेंगे।Birsa Munda Jayanti