November 1, 2024

Gadhkalika Temple Ujjain : महाभारत काल में हुई थी उज्जैन के इस मंदिर की स्थापना

Gadhkalika Temple Ujjain

Gadhkalika Temple Ujjain : उज्जैन शहर में 51 शक्ति पीठों में से एक हरसिद्धि मंदिर की तरह गढ़कालिका मंदिर भी धार्मिक मान्यता के लिए प्रसिद्ध है। गढ़कालिका मंदिर अत्यंत प्राचीन है। माना जाता है कि इसकी स्थापना महाभारत काल में हुई थी, लेकिन मूर्ति सतयुग काल के समय की है। मंदिर का जीर्णोद्धार सम्राट हर्षवर्धन द्वारा करवाया गया था। जिसका शास्त्रों में उल्लेख मिलता है। यह कवि कालिदास की उपासक देवी भी हैं। जो कि तंत्र-मंत्र की देवी के नाम से भी प्रसिद्ध हैं। यहां कपड़े के बनाए गए नरमुंड चढ़ाए जाते हैं। प्रसाद के रूप में दशहरे के दिन नींबू बांटा जाता है। इस मंदिर में तांत्रिक क्रिया के लिए कई तांत्रिक भी आते हैं। देवियों में तंत्र साधना के लिए कालिका को सबसे महत्वपूर्ण माना गया है।Gadhkalika Temple Ujjain

गढ़कालिका मंदिर, गढ़ नाम के स्थान पर होने के कारण गढ़कालिका हो गया है। मंदिर के प्रवेश द्वार पर मां के वाहन सिंह की प्रतिमा बनी हुई है। ऐसी मान्यता है कि एक बार कालिदास पेड़ की जिस डाल पर बैठे थे उसी को काट रहे थे। इस घटना पर उनकी पत्नी विद्योत्तमा ने उन्हें फटकार लगाई, जिसके बाद कालिदास ने मां गढ़कालिका की उपासना की। वे इतने ज्ञानी हो गए कि उन्होंने कई महाकाव्यों की रचना कर दी और उन्हें महाकवि का दर्जा मिल गया। कालिदास के संबंध में मान्यता है कि जब से वे इस मंदिर में पूजा-अर्चना करने लगे तभी से उनके प्रतिभाशाली व्यक्तित्व का निर्माण होने लगा। उज्जैन में प्रत्येक वर्ष होने वाले कालिदास समारोह के आयोजन के पूर्व मां कालिका की आराधना भी की जाती है। इन्हें राजा विक्रमादित्य की कुल देवी भी माना जाता है। कहा जाता है कि किसी भी युद्ध में जाने से पूर्व विक्रमादित्य यहां पूजा करने आते थे। देवी नगर की रक्षा करती थीं।Gadhkalika Temple Ujjain

गढ़कालिका के मंदिर में मां कालिका के दर्शन के लिए रोज हजारों भक्त आते हैं। नवरात्रि में गढ़कालिका देवी के दर्शन मात्र से ही अपार सफलता मिलती है।

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