ऐतिहासिक धरोहरों से भरपूर भारत में किले महल भी भरपूर हैं। ऐसे ही एक ऐतिहासिक किले की ओर आज हम आपको लेकर जा रहे हैं। जो पर्यटन स्थल तो है ही अनोखे आर्किटेक्चर के लिए भी फेमस है। ग्वालियर किला भारत के मध्य प्रदेश के ग्वालियर में स्थित एक राजसी किला है। इसे वर्ष 2021 में यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया था। साथ ही यह भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के संरक्षण में है। इस किले के बारे में कुछ मुख्य और रोचक तथ्या इस प्रकार हैं… Gwalior Fort
यह किला 8वीं शताब्दी में गुर्जर-प्रतिहार राजवंश द्वारा निर्मित किया गया था। इसके बाद तोमरों, मुगलों, मराठों और सिंधियाओं ने शासन किया। भारत के इतिहास में विशेषकर मध्यकाल के दौरान इस किले ने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। Gwalior Fort
वास्तुकला:
- 300 फुट (91 मीटर) ऊंची चट्टानी चट्टान पर स्थित, जो रणनीतिक लाभ प्रदान करता है
- 3 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैला हुआ है
- इसमें भारतीय, चीनी और इस्लामी स्थापत्य शैली का अनूठा मिश्रण है
- दीवारें 35 फीट (11 मीटर) तक मोटी और 13 मील (21 किलोमीटर) लंबी हैं Gwalior Fort
किले के भीतर संरचनाएं:
- मान मंदिर पैलेस (15वीं शताब्दी): जटिल नक्काशी, अलंकृत टाइलें और आश्चर्यजनक वास्तुकला का प्रदर्शन करता है
- गुजरी महल (15वीं शताब्दी): राजा मान सिंह द्वारा अपनी पत्नी के लिए बनवाया गया, इसमें सुंदर टाइल का काम और अलंकृत सजावट है
- सास-बहू मंदिर (11वीं शताब्दी): भगवान विष्णु को समर्पित, प्रभावशाली नक्काशी और मूर्तियां प्रदर्शित करता है
- तेली का मंदिर (11वीं शताब्दी): भारतीय और इस्लामी स्थापत्य शैली के मिश्रण वाला एक अनूठा मंदिर
- जौहर कुंड: एक पवित्र स्थान जहां महिलाओं ने आक्रमणकारियों के कब्जे से बचने के लिए जौहर (आत्मदाह) किया था
अन्य आकर्षण
- ग्वालियर किला संग्रहालय: किले के इतिहास को प्रदर्शित करने वाली कलाकृतियों, मूर्तियों और प्रदर्शनियों का संग्रह है
- लाइट एंड साउंड शो: एक रात्रिकालीन तमाशा जो किले के इतिहास और किंवदंतियों का वर्णन करता है। Gwalior Fort
कब आएं यहां
- समय: सुबह 8 बजे से शाम 6 बजे तक (अप्रैल से सितंबर), सुबह 8 बजे से शाम 5 बजे तक (अक्टूबर से मार्च)
- प्रवेश शुल्क: ₹25 (भारतीय नागरिक), ₹300 (विदेशी नागरिक)
- घूमने का सबसे अच्छा समय: अक्टूबर से मार्च Gwalior Fort