December 3, 2024

Janmashtami :श्रीकृष्ण जन्मोत्सव का महत्व और कारण

Janmastami

Janmashtami : जन्माष्टमी का त्योहार हिंदू धर्म में अत्यधिक महत्व रखता है। यह भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है, जो हिंदू धर्म के अनुसार, भगवान विष्णु के आठवें अवतार माने जाते हैं। जन्माष्टमी हर साल भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। इस दिन को ‘कृष्ण जन्माष्टमी’ या ‘गोकुलाष्टमी’ के नाम से भी जाना जाता है।Janmashtami

श्रीकृष्ण का जन्म और उद्देश्य
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जब धरती पर अधर्म, अत्याचार और पाप की सीमा पार हो गई थी, तब भगवान विष्णु ने मानव रूप में जन्म लिया। उनका उद्देश्य अधर्म का नाश करना और धर्म की पुनः स्थापना करना था। श्रीकृष्ण का जन्म मथुरा के कंस के कारागार में हुआ था। कंस अपनी बहन देवकी और उनके पति वासुदेव को जेल में बंदी बनाकर रखा था क्योंकि उसे यह भविष्यवाणी मिली थी कि देवकी का आठवां पुत्र उसका वध करेगा।Janmashtami:

जन्म के तुरंत बाद, वासुदेव ने भगवान श्रीकृष्ण को यमुना नदी पार करके गोकुल में नंद बाबा और यशोदा के पास पहुंचाया, जहां उनका पालन-पोषण हुआ। गोकुल और वृंदावन में भगवान कृष्ण ने अपनी बाल लीलाओं से सबका मन मोह लिया। किशोर अवस्था में उन्होंने राधा और गोपियों के साथ रासलीला की, और अंततः बड़े होकर कंस का वध कर मथुरा को अत्याचार से मुक्त किया।

क्यों मनाते हैं जन्माष्टमी?
जन्माष्टमी का मुख्य उद्देश्य भगवान कृष्ण की जीवन गाथा को याद करना और उनके उपदेशों का अनुसरण करना है। गीता में श्रीकृष्ण ने अर्जुन को जो उपदेश दिए, वे कर्मयोग, भक्ति और ज्ञान का प्रतीक हैं। भगवान कृष्ण ने जीवन में निष्काम कर्म का महत्व बताया और कहा कि मनुष्य को फल की चिंता किए बिना अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए।

भगवान श्रीकृष्ण ने प्रेम, भक्ति, और सत्य का संदेश दिया। उनका जीवन यह सिखाता है कि बुराई कितनी भी शक्तिशाली क्यों न हो, सच्चाई और धर्म की ही जीत होती है।Janmashtami

जन्माष्टमी की परंपराएँ और उत्सव
जन्माष्टमी के दिन भक्तजन व्रत रखते हैं और रात को 12 बजे तक उपवास करते हैं, क्योंकि माना जाता है कि श्रीकृष्ण का जन्म मध्यरात्रि में हुआ था। मंदिरों में विशेष पूजा और झांकियों का आयोजन होता है, जहां भगवान कृष्ण की बाल लीलाओं को प्रदर्शित किया जाता है। इस दिन गोकुल और मथुरा के मंदिरों में विशेष धूमधाम देखी जाती है।

कई स्थानों पर ‘दही-हांडी’ का आयोजन भी होता है, जिसमें युवक बाल कृष्ण के रूप में मटकी फोड़ने की प्रतियोगिता में भाग लेते हैं। यह आयोजन श्रीकृष्ण की माखन चोरी की लीलाओं का प्रतीक है। इस दिन भक्तजन भजन-कीर्तन करते हैं और कृष्ण की महिमा का गुणगान करते हैं।Janmashtami

आधुनिक संदर्भ में जन्माष्टमी का महत्व
आज के समय में जन्माष्टमी न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह हमें जीवन के उन मूल्यों की याद दिलाता है जो श्रीकृष्ण ने हमें सिखाए। चाहे वह सत्य का मार्ग हो, चाहे वह कर्तव्य पालन हो, या फिर प्रेम और भक्ति का संदेश, श्रीकृष्ण का जीवन हमारे लिए एक आदर्श प्रस्तुत करता है।

जन्माष्टमी हमें यह भी सिखाती है कि जीवन में कितनी भी कठिनाइयाँ क्यों न आएं, हमें अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए और धर्म के मार्ग पर चलना चाहिए। भगवान श्रीकृष्ण का जीवन एक प्रेरणा है कि अगर हमारा विश्वास अटल है, तो बुराई पर हमेशा अच्छाई की विजय होती है।Janmashtami

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