Mahakumbh : आज हम बात करेंगे एक ऐसे धार्मिक आयोजन की, जिसे दुनिया का सबसे बड़ा मेला कहा जाता है – कुंभ मेला। क्या आप जानते हैं कि कुंभ मेला क्यों लगता है, कितने सालों में लगता है, और इसे केवल चार विशेष स्थानों पर ही क्यों आयोजित किया जाता है? आइए जानते हैं इसके पीछे का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व।कुंभ मेला, भारत की सांस्कृतिक और धार्मिक परंपरा का सबसे बड़ा प्रतीक, हर 12 साल में आयोजित किया जाता है। यह चार विशेष स्थानों – हरिद्वार, प्रयागराज (इलाहाबाद), उज्जैन और नासिक में आयोजित होता है।धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कुंभ मेला समुद्र मंथन से जुड़ा है। कहा जाता है कि देवताओं और असुरों के बीच अमृत प्राप्त करने के लिए मंथन हुआ था। जब अमृत कलश लेकर गरुड़ स्वर्ग की ओर उड़ रहे थे, Mahakumbh
तब चार स्थानों पर अमृत की बूंदें गिरीं। यही चार स्थान हैं – हरिद्वार, प्रयागराज, उज्जैन और नासिक। इन स्थानों पर मेले का आयोजन विशेष रूप से किया जाता है”कुंभ मेले की तिथियां खगोलीय गणना पर आधारित होती हैं। जब सूर्य, चंद्रमा और बृहस्पति की स्थिति विशेष प्रकार से होती है, तब इसे शुभ माना जाता है। यही वजह है कि यह हर 12 साल में आयोजित होता है।”कुंभ मेले की विशेषता इसकी अद्वितीयता में है। लाखों श्रद्धालु गंगा, शिप्रा और गोदावरी जैसी पवित्र नदियों में स्नान करते हैं।Mahakumbh
मान्यता है कि इन नदियों में स्नान से पापों का नाश होता है और मोक्ष प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता हैकुंभ मेला केवल धार्मिक आयोजन ही नहीं, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, आस्था और एकता का भी प्रतीक है। यह मेला विश्व भर के श्रद्धालुओं और पर्यटकों को आकर्षित करता है, जो इसे एक वैश्विक आयोजन बनाता है।तो यह था कुंभ मेले का धार्मिक, खगोलीय और ऐतिहासिक महत्व। हर 12 साल में लगने वाला यह मेला न केवल हमारी आस्था को जोड़ता है, बल्कि भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को भी दुनिया के सामने प्रस्तुत करता है।Mahakumbh