December 8, 2024

Poem : “मन करता है लेखक बन जाऊँ”

Poem

Poem : मन करता है लेखक बन जाऊँ, पर अपनी लेखनी में वो फन कहाँ से लाऊँ, पढ़‌कर करें सब वाह-वाही ऐसे कौन से शब्द बनाऊँ। मन करता है लेखक बन जाऊँ।

शौर्य गाथा लिखकर वीरों को उकसाऊँ, या प्रभु की स्तुति कर भक्ति रस बरसाऊँ, प्रकृति सौंदर्य का गुणगान करूँ या नारी जाति की व्यथा बताऊँ, कुछ भी समझ ना पाऊँ । मन करता है लेखक बन जाऊँ।

इतिहास के दर्शन करवाऊँ, भविष्य पर चिंता जताऊँ या वर्तमान के मुद्‌दों पर लड़ जाऊँ, घर सम्भालूं, समाज की परवाह करूँ या खुद में ही खो जाऊँ, बड़ी कश-म-कश है, कुछ समझ न पाऊँ। मन करता है लेखक बन जाऊँ।

न भाषा का ज्ञान, न गुरु की सीख, छंद कौन सा अलंकार कहाँ सजाऊँ, किस-किस रस की बरखा बरसाऊँ, इस उलझन से पार न पाऊँ, बड़ी विडंबना है कुछ समझ न पाऊँ मन करता है लेखक बन जाऊँ।Poem

लेखक —श्रद्धा सिंह यादव,भोपाल

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