प्रासंगिक : अभी तक पेरिस ओलंपिक में पाँच खिलाड़ी अपने कैटेगरी वजन से ज्यादा वजन होने के लिए निष्कासित हो चुके हैं:1.विनेश फोगाट (भारत) : 50 किलो फ्री स्टाइल कुश्ती,2.एमानुएला लिउजी (इटली) :50 किलो फ्री स्टाइल कुश्ती, 3 मेसाउंड ड्रिस (अल्जीरिया) : जूडो, 4 बेटीरब्रेक साकुलोव (स्लोवाकिया) : 65 किलो फ्री स्टाइल कुश्ती, 5.दानिला सेमेनोव (रूस): 92 किलो लाइट हेवी वेट कुश्ती, लेकिन किसी देश नें इस तरह का मूर्खतापूर्ण व्यवहार नहीं किया जैसा कि भारत में हो रहा है। प्रासंगिक
किस भारतीय को दुःख नहीं हुआ विनेश के फ़ाइनल से बाहर किए जाने का, हाथ में आया गोल्ड या सिल्वर मैडल निकल गया किन्तु ओलम्पिक गन्दी राजनीति से नहीं चलते, चलते हैं नियम-कायदों से। कोई साज़िश नहीं है। पहली वार डिस्क्वालीफाई नही हुई है विनेश, 2016 में ही मंगोलिया के उलानबटार में वर्ल्ड ओलिंपिक क्वालीफाइंग इवेंट के दौरान विनेश फोगाट का वजन 400 ग्राम ज्यादा पाया गया था। इसके बाद उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया गया था। प्रासंगिक
सच्चाई यह है कि विनेश अपनी हाइट और उम्र के हिसाब से जो उसका वेट होना चाहिये उसके नीचे वाले वेट में लड़ती है जिससे कम वेट मास की लड़कियों को हरा सके। यह चालाकी दो बार भारी पड़ चुकी है। वर्तमान मे उसका वेट सामान्यतः 53-56 किलो रहता है पर ज़बरदस्ती वेट कम करके वह 50 किलो की कैटेगरी में लड़ी। प्रासंगिक
विषय के जानकार जानते हैं कि ऐसी हालत मे शरीर का प्राकृतिक मेटाबॉलिज्म काम करता है और पानी तक वज़न बढ़ा देता है। इस बार भी ऐसा ही हुआ सेमी फाइनल के बाद अगले दिन तभी लड़ सकती थी जब शरीर मे स्ट्रेन्थ हो जिसके लिये कुश्ती के बाद खाना ही पड़ता है और बॉडी अपने एक्चुअल वेट की ओर बढ़ने लगती है। क्या नहीं किया विनेश नें, कितनी मेहनत की, रातभर साइक्लिंग की, पानी तक नहीं पिया, डिहाइड्रेशन तक झेला किन्तु इस बार भाग्य नें साथ नहीं दिया और 100 ग्राम वज़न अधिक निकल गया। प्रासंगिक
विनेश जैसी बेटियों पर भारत को गर्व है लेकिन भारत की बेटी से अचानक जाट बेटी बताकर हरियाणा चुनाव साधने में लग गई है कॉंग्रेस। सपोर्ट टीम और प्रधानमन्त्री पर अनावश्यक दोषारोपण किया जा रहा है। मत भूलिए विनेश का पति सोमवीर राठी भी उसके साथ है जो कि स्वयं राष्ट्रीय स्तर का पहलवान है। धोखा विनेश नें दिया है स्वयं को और पूरे ख़ेल जगत को। भारत की कुश्ती फ़ेडरेशन भी इस धोखाधड़ी के लिए उत्तरदायी है क्यों नहीं विनेश को50 किलो से अधिक वज़न कैटेगरी में उतारा गया? प्रासंगिक
अब मूर्खता की पराकाष्ठा देखिए कुछ लोग विनेश को भारत रत्न, राज्यसभा टिकट आदि देने का प्रचार कर रहे हैं। अरे आप कभी चुनाव और जातिगत राजनीति से बाहर नहीं आ सकते क्या? जैसे सावन के अन्धे को सब तरफ़ हरा-हरा ही दिखता है वैसे ही भारत के कुटिल राजनीतिज्ञों को हमेशा जातियाँ और चुनाव ही दिखता है। भारत की बेटी अनु भाकर भी है। उसकी उपलब्धि को क्यों कम आँका जा रहा है?
उत्तिष्ठत भारत – उमेन्द्र सिंह रघुवंशी