Subhash Chandra Bose : आज भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महानायक, महान देश भक्त, जिनका देश की आजादी के लिए किया गया संघर्ष आज भी भारतीयों के दिलों में गूंजता है, आज उन्हीं महानायक नेता जी सुभाष चंद्र बोस की 128वीं जयंती है। आज उनकी जयंती पर हम आपको उनकी उनकी जिद, साहस और देशभक्ति की कहानी बताने जा रहे हैं। जिसने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक नया मोड़ दिया, जिससे हर भारतीय को गर्व और प्रेरणा मिलती है।तो आइए जानते हैं। सुभाष चंद्र बोस की देश भक्ति से भरी वीरगाथा।Subhash Chandra Bose
सुभाष चन्द्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 को कटक, ओडिशा में हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा कटक और कलकत्ता में प्राप्त की। भारतीय प्रशासनिक सेवा (ICS) की परीक्षा में उत्तीर्ण होने के बावजूद, बोस ने अपनी मातृभूमि के प्रति प्रेम को सर्वोच्च प्राथमिकता दी और ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ संघर्ष के लिए अपने करियर को त्याग दिया। उनका मानना था कि स्वतंत्रता के लिए केवल अहिंसा नहीं, बल्कि सशस्त्र संघर्ष की भी आवश्यकता है।Subhash Chandra Bose
नेताजी की नारा – “तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आज़ादी दूँगा!”
नेताजी का यह नारा “तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आज़ादी दूँगा!” आज भी लोगों के बीच प्रसिद्ध हैं।यह नारा भारतीयों का हौंसला बढ़ाने वाला था,1943 में, सुभाष चन्द्र बोस ने भारतीय राष्ट्रीय सेना (INA) का गठन किया, जिसे जापान और जर्मनी से सहायता मिली। INA के सशस्त्र सैनिकों ने ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ मोर्चा खोला और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
जापान में भारतीय राष्ट्रीय सेना का गठन
नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने जब देखा कि ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ महात्मा गांधी की अहिंसा आधारित नीति से कोई ठोस परिणाम नहीं निकल रहे हैं, तो उन्होंने सशस्त्र संघर्ष की राह अपनाई। जापान में अपने साथियों के सहयोग से उन्होंने INA का गठन किया। उनका लक्ष्य था कि अगर अंग्रेजों को युद्ध के मैदान में हराया जाए, तो भारत की स्वतंत्रता सुनिश्चित हो सकती है। INA ने दक्षिण-पूर्व एशिया के कई हिस्सों में ब्रिटिश सेना के खिलाफ संघर्ष किया।
नेताजी की रहस्यमय मृत्यु
हालांकि सुभाष चन्द्र बोस की जिंदगियों की पूरी कहानी आज भी एक रहस्य बनी हुई है। 1945 में उनकी कथित विमान दुर्घटना में मौत हो गई, लेकिन आज भी कई लोग मानते हैं कि नेताजी की मौत एक साजिश का हिस्सा थी। उनके बारे में विभिन्न थ्योरीज़ और कयास लगाए जाते हैं, लेकिन उनकी मृत्यु कैसे हुई यह किसी नहीं पता। उनका योगदान और उनके आदर्श आज भी भारतीयों के दिलों में जिन्दा हैं।उनकी जयंती के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और अन्य नेताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।