Mahakumbh 2025 : महाकुंभ में इन दिनों साधु—संतों का मेला है। प्रयागराज में हर दिन देश से ही नहीं विदेशों से भी भक्त पवित्र गंगा के स्नान करने पहुंचे। पंचदशनाम शंभु आवाहन अखाड़ा में महंत सत्यानंद भारती से उनके गुरू भाई की शिष्या रशिया से मिलने पहुंचीं। वे स्वयं साध्वी हैं और अपने गुरू के मार्गदर्शन में नियमों का पालन करते हुए भगवान की आराधना कर रही हैं।Mahakumbh 2025
सत्यानंद भारती बताते हैं कि जीवन का बहुत बड़ा हिस्सा तप, साधना में ही व्यतीत हो गया। वे कहते हैं “निर्मल मन जन सो मोहि पावा, मोहि कपट छल छिद्र न भावा” जब तक मन शुद्ध नहीं होगा, तब तक मुक्ति नहीं मिल सकती है। मन अगर शुद्ध हो गया तो चरित्र भी शुद्ध हो जाएगा। उन्होंने बताया कि अन्य मार्ग कठिन हैं किंतु भक्ति मार्ग सबसे सरल मार्ग है ईश्वर को प्राप्त करने का।
नागा साधु कठोर तप करते हैं और शिव की आराधना करते हैं कुंभ के बाद वे जंगलों या अपने—अपने आश्रमों में साधना में लीन हो जाते हैं। फिलहाल प्रयागराज महाकुंभ से साधु—संतों का जाना शुरू हो गया है। कुछ अखाड़ों के साधु—संत चले गए हैं तो वहीं कुछ महाशिवरात्रि के बाद प्रस्थान करेंगे। शैव अखाड़े के संत प्रयागराज से काशी की ओर प्रस्थान करेंगे।Mahakumbh 2025
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