devdasi pratha : देवदासी, ये नाम सुनने में कितना अच्छा और पवित्र लगता है, पर क्या वाकई में ये नाम इतना पवित्र है या हकीकत कुछ और ही है। क्या धर्म के नाम पर देवदासी को सेक्स स्लेव बना कर छोड़ दिया जाता है। क्या उम्र गुजर जाने के बाद देवदासी को सड़क पर भीख मांगने के लिए छोड़ दिया जाता है। इसको बताने से पहलें हम आपको देवदासी शब्द का अर्थ बताते है।devdasi pratha
कौन होती है देवदासी देवदासी का मतलब देवों की कथित दासी है। यह प्रथा प्रचीन काल से आज तक चली आ रही हैं। बेंगलुरु से तकरीबन 400 किलोमीटर दूर स्थित उत्तरी कर्नाटक का जिला कोप्पल देवदासी का गढ़ माना जाता है. यहां नई उम्र की लड़कियों की शादी देवताओं से करा दी जाती है. और उन्हें उम्र भऱ जिस देवता से उसकी शादी करा दी जाती है। उसकी दासी बनकर रहना पड़ता है। कहा जाता है की देवदासी को घर का बड़ा बेटा माना जाता है। लेकिन सच कुछ और ही होता है। जिसे सुन कर आप के रोमटे खड़े हो जाएगें । devdasi pratha
क्या है देवदासी होने का सच देवदासी को समाज में एक शुद्र की तरह देखा जाता है। जिन्हें अमीर और ऊची जाति के लोग अपने आनंद के लिए इस्तेमाल करते है और मन भरने या गर्भवती होने पर उन्हें सड़क पर भीख मांगने के लिए छोड़ दिया जाता है और ऐसी महिलाओं की कोई नहीं सुनता वे अपने बच्चों का और खुद का पेट बनने के लिए या तो मजदूरी करती है या भीख मांगती है..ऐसी पथा के खिलाफ आवाज़ उठाने के लिए कई शो व मूवी भी बनाई गई है। लेकिन आज भी यह पथा समाज से पूरी तरह नही हटी लेती। devdasi pratha