Hal Shashthi 2024 : हर साल भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को हल षष्ठी का पर्व मनाया जाता है। इस बार 25 अगस्त को मनाया जाएगा हरछठ इस दिन माताएं अपनी संतान की लंबी आयु, सुख, और स्वास्थ्य के लिए व्रत रखती हैं। इसे ‘ललही छठ’, ‘हरछठ’, और ‘चंदन छठ’ के नाम से भी जाना जाता है। खासकर उत्तर भारत के ग्रामीण इलाकों में इसका विशेष महत्व है।
पौराणिक कथा और मान्यता
हल षष्ठी का संबंध भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम जी से है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, बलराम जी का प्रिय हथियार हल था और वे कृषि से जुड़े कार्यों में निपुण थे। इसलिए इस व्रत का नाम ‘हल षष्ठी’ पड़ा। इस दिन खेती से जुड़े औजार, विशेषकर हल, की पूजा की जाती है और उन्हें देवतुल्य माना जाता है। व्रती महिलाएं हल से जुड़ी चीजों का ही सेवन करती हैं।
व्रत विधि और परंपराएं
इस दिन व्रत करने वाली माताएं सूर्योदय से पहले स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करती हैं। फिर वे पूजा स्थल को गोबर और मिट्टी से लीपकर तैयार करती हैं। विशेष तौर पर गाय के गोबर से भगवान बलराम की मूर्ति बनाई जाती है। पूजा में विशेष तौर पर सात प्रकार के अनाज, खासकर जौ और गेहूं, का उपयोग किया जाता है। हल से जुड़ी चीजों का सेवन नहीं किया जाता। इसके बजाय, महिलाएं बिना हल चले अन्न (जैसे झांझर, मक्के, या जौ) का सेवन करती हैं।Hal Shashthi 2024
संतान की दीर्घायु और स्वास्थ्य की कामना
हल षष्ठी का मुख्य उद्देश्य संतान की सुरक्षा और स्वस्थ जीवन की कामना करना है। इस व्रत को माताएं बहुत श्रद्धा और भक्ति से करती हैं। खासकर जिन माताओं के संतान छोटे होते हैं, वे इस व्रत को विशेष रूप से करती हैं। लोक मान्यता है कि इस दिन व्रत करने से संतान को लंबी आयु, अच्छा स्वास्थ्य और जीवन में खुशहाली मिलती है।Hal Shashthi 2024