November 22, 2024

History of Raksha Bandhan : कैसे हुआ रक्षा बंधन का त्यौहार शुरू, जानिए रक्षा बंधन से जुड़ी रोचक कक्षाएं

rakhi 2024

History of Raksha Bandhan : रक्षाबंधन का त्यौहार भाई बहन क त्यौहार माना जाता है। इस दिन बहन अपने भाई को राखी बंधती है। जिसे रक्षा सूत्र कहा जाता है ऱाखी के बदले में भाई अपनी बहन की रक्षा करने का प्रण लेता है और हमेशा उसकी रक्षा करता है। ये त्यौहार भारत में बहुत ही धूमधाम से मानाया जाता है। रक्षा बंधन के दिन भाई बहन अच्छे से नए कपड़े पहनकर तैयार होते है। घूमने जाते है बाजारों में बहुत ही रौनक होती है। लोग बाजार में राखियां नए कपड़े ,मिठाई,खिलौने,उपहार खरीदने जाते है साथ ही घर पर भी कई प्रकार के पकवान बनाए जाते है । History of Raksha Bandhan

लेकिन क्या आपको पता है, कि रक्षा बंधन क्यों मानाया जाता है? और किसने सबसे पहले किसको राखी बाधी, और क्यों ?

इसके पीछे 3 कथाएं प्रचलित है

पहली कथा

क्या पहले एक पत्नी ने अपने पति की रक्षा के लिए पति को बंधी था राखी

भविष्य पुराण के अनुसार बताया जाता है। इंद्र की जब वृत्तसुर से लड़ाई हो रही थी उस समय इंद्र डर गया था । तो इंद्र की पत्नी शिचि ने इंद्र की रक्षा के लिए इंद्र के हाथ में रक्षा धागा बांधा था । और इसके बाद इंद्र युद्ध जीत गए थे। इसके बाद कोई भी व्यक्ति जब युद्ध में जाता था तो उसके हाथ में मौली रक्षा सूत्र के रूप में बांधा जाता था। History of Raksha Bandhan

दूसरी कथा

देवी लक्ष्मी ने राजा बलि को क्यों बांधी राखी

पुराणों के अनुसार बताया जाता है, श्री विष्णु ने जब राजा बलि से बामुन अवतार लेकर तीनों लोक मांग लिए थे। तो विष्णु ने राजा बलि को पाताल लोक का राज्य दे दिया था। पर लेकिन राजा बलि ने कहा कि आपने छल से मेरा सारा राज्य छीन लिया अब मेरी एक इच्छा है कि आप मुझे एक वर दें,जब श्री विष्णु कहा तुम जो मागों तुम्हें दिया जाएगा तब बलि ने कहा मैं चाहता हूं कि आप मुझे दिन-रात मेरी आंखों के सामने दिखे। फिर क्या था, अपने वचन के अनुसार विष्णु को पाताल लोक रहना पड़ा।

कई दिनों तक लक्ष्मी विष्णु का इंतजार करती रही पर एक दिन जब नारद जी लक्ष्मी के पास आए तो उन्होंने लक्ष्मी जी को बताया की राजा बलि के ने विष्णु से हर समय अपने आंखों के सामने रहने का वर मांगा है। इसलिए वो पाताल कोट में है। तब देवी लक्ष्मी ने नारद से पूछा अब मुझे क्या करना चहिए तब नारद ने कहा बलि को अपना भाई बना लो और शगुन में अपने पति को मांग लेना फिर लक्ष्मी देवी राजा बलि के पास रोती हुई जाती और कहती राजा बलि मेरा कोई भाई नहीं है मुझे भाई की जरुरत है तो राजा बलि ने कहा, आप मेरी धर्म बहिन बन जाओ तब लक्ष्मी मे बलि को राखी बांधी और शगुन में अपने पति को मांग लिया कहा जाता है। बताया जाता है। रक्षा बंधन का त्यौहार मानाया जाने लगा।  History of Raksha Bandhan

तीसरी कथा

द्रौपदी ने कृष्ण को क्यों बांधी थी राखी

ग्रथों के अनुसार बताया जाता है कि जब एक बार के कृष्ण के हाथ मे चोट आ गई थी तब द्रौपदी ने अपनी साड़ी के पल्लू को फ़ाड कर कृष्ण के हाथ में बांध दिया था तब कृष्ण द्रौपदी को वचन दिया था कि आज तुम ने मेरी रक्षा की है बहिन इस पल्लू के बदले में भी हमेशा तुमारी रक्षा करुंगा। कहा जाता है द्रौपदी चीर हरण के समय कृष्ण जो साड़ी को बढ़ाया था माना जाता है ये वही साड़ी का पल्लू था जो कृष्ण के हाथ में द्रौपदी ने ने बांधा था। कुछ लोग इसे पहला रक्षा बंधन भी कहते है। और लोग यही से रक्षा बंधन मानाने लगे, जो अब भारत में एक त्यौहार के रूप में मानाया जाता है। History of Raksha Bandhan

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