December 23, 2024

Janmashtami 2024 : जानिए कब है जन्माष्टमी और क्या है पूजन का शुभ मुहूर्त

Janmashtami 2024

कृष्ण जन्म से बन रहे योग… अष्टमी, रोहिणी नक्षत्र, चंद्रमा-लग्न वृषभ राशि में

Janmashtami 2024 : जन्माष्टमी का पर्व सोमवार को राजधानी में भक्ति भाव और उल्लास के साथ मनाया जाएगा। वर्षों बाद ऐसा मौका होगा कि जब स्मार्त और वैष्णव मत के धर्मावलंबी एक ही दिन (26 अगस्त) कृष्ण जन्मोत्सव मनाएंगे। इस बार जन्माष्टमी कई मायनों में खास होगी। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार द्वापर युग में भगवान कृष्ण के जन्म के समय बने कई योग भी जन्माष्टमी पर रहेंगे। गोविंददेव जी, अक्षयपात्र, इस्कॉन, राधादामोदर जी, गोपीनाथ जी सहित अन्य प्रमुख मंदिरों में विशेष सजावट व बेरिकेडिंग के साथ ही तैयारियां अंतिम दौर में हैं। मंदिरों में सोमवार मध्यरात्रि जन्म के बाद श्रीकृष्ण को झूला झुलाया जाएगा। जन्मोत्सव की आरती के बाद भक्तों को पंजीरी व माखन-मिश्री का प्रसाद वितरित किया जाएगा। दिनभर मंदिरों में मेले सा माहौल रहेगा। वहीं, 27 अगस्त को नंदोत्सव के तहत शोभायात्रा निकाली जाएगी।

अष्टमी तिथिः सोमवार सुबह 3:40 से देर रात 2:20 बजे तक

श्रीमद् भागवत पुराण के अनुसार द्वापर युग में जब भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था उस दौरान जो शुभ योग थे, लगभग वहीं योग इस बार भी बन रहे हैं। भगवान कृष्ण के जन्म के समय के छह तत्व हैं। भाद कृष्ण पक्ष, रात 12 बजे, अष्टमी तिथि, रोहिणी नक्षत्र,

विशेष मुहूर्त 30 मिनटः पूजन का समय रात 12-12.30 बजे तक

26 अगस्त को रात 12 से 12:30 बजे तक। पूजा

के लिए विशेष समय रहेगा। रात 12 बजे वृषभ लग्न के साथ चंद्रमा वृषभ राशि में उच्च के रोहिणी नक्षत्र में गोचर करेगा। चंद्रमा के साथ मिलकर गजकेसरी योग और शनि के मूल त्रिकोण राशि कुम्भ में गोचर से शश योग बनेगा। श्रीकृष्ण के जन्म के समय भी वृषभ लग्न में चन्द्रमा उच्च के रोहिणी नक्षत्र में गोचर कर रहे थे। चतुर्थ भाव में स्व राशि के सूर्य और शनि बलवान अवस्था में थे। पं. पुरुषोत्तम गौड़, ज्योतिषाचार्य

वृषभ राशि में चंदमा, इनके साथ सोमवार या बुधवार का होना है। उन्होंने बताया कि भगवान कृष्ण का जन्म मध्यरात्रि अष्टमी तिथि को हुआ था। इस बार यह तिथि एक दिन (सोमवार सुबह 3:40 बजे से देर रात 2:20 बजे तक) ही रहेगी। ऐसे में स्मार्त और वैष्णव एक ही दिन पर्व मनाएंगे।

30 साल बाद सूर्य सिंह और चंद्रमा वृषभ राशि में

अर्धरात्रि व्यापिनी अष्टमी

में रोहिणी नक्षत्र होने पर जयंती योग का निर्माण भी होगा। ऐसे में यह योग प्रजाहित के लिए विशेष फलदायी साबित होगा। द्वापर काल में भगवान कृष्ण के जन्म के समय सूर्य सिंह राशि में, चंदमा वृषभ, मंगल वृश्चिक राशि में तथा शनि कुंभ राशि के केंद्र में था। इस बार 30 साल बाद सूर्य, शनि और चंद्रमा उसी स्थिति में रहेंगे। पं. दामोदर प्रसाद शर्मा, ज्योतिषाचार्य Janmashtami 2024

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