Khatu Shyam : महाभारत का एक ऐसा योद्धा जो युद्ध को जिधर चाहे उधर मोड़ सकता था। या ये कहे कि वह जिस ओर से युद्ध लड़ता तो रणभूमि में उसकी ही विजय पताका लहराती। जिसका नाम था बर्बरीक। बर्बरीक महायोद्धा भीमसेन का नाती और घटोत्कच का पुत्र था। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भगवान श्रीकृष्ण ने बर्बरीक का गला क्यों काट दिया था? यहां जानिए बर्बरीक की रोचक कहानी।
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार बर्बरीक महाभारत में एक अद्वितीय योद्धा था। वह अपने साहस और युद्ध कौशल के लिए जाना जाता था। माना जाता है कि बर्बरीक को भगवान शिव से तीन अमोघ बाणों का वरदान प्राप्त था। इस लिए उसे तीन बाणधारी नाम से भी प्रसिद्ध था। बर्बरीक के इन बाणों में इतनी शक्ति थी कि वे पूरे युद्ध का परिणाम पल भर में बदल सकते थे।Khatu Shyam
जब महाभारत के युद्ध की शुरुआत होने वाली थी, तो बर्बरीक ने युद्ध में भाग लेने की इच्छा प्रकट की। लेकिन उसने यह प्रण लिया कि रणभूमि में जिसकी हार होगी वह उसका साथ देगा। ऐसा माना जाता है कि बर्बरीक की इस प्रतिज्ञा से स्वयं भगावन श्रीकृष्ण चिंता में पड़ गए थे।Khatu Shyam
श्रीकृष्ण ने मांग लिया था बर्बरीक का सिर
जब श्रीकृष्ण को बर्बरीक के प्रण ने चिंता में डाल दिया, तो उन्होंने बर्बरीक की परीक्षा लेने के लिए ब्राह्मण के रूप में उनसे युद्ध कौशल दिखाने को कहा। जब भगवान श्रीकृष्ण ने बर्बरीक की शक्तियों और पराक्रम को देखा तो वह चौंक गए। इसके बाद श्रीकृष्ण ने उचित रणनीति के तहत उनसे उनका सिर दान में मांग लिया। मान्यता है कि बर्बरीक अपनी बात का पक्का योद्धा था जो बोलता था उसको पूरा करता था। इस लिए उसने अपना सिर श्रीकृष्ण को दान कर दिया। लेकिन उसने श्रीकृष्ण से यह वरदान मांगा कि वह महाभारत का पूरा युद्ध देखना चाहता है। श्रीकृष्ण ने उसकी इस इच्छा को पूरी करने के लिए उसका सिर युद्ध के मैदान में एक पेड़ लटका दिया। जिसको अब खाटू श्याम के नाम से जाना जाता है।Khatu Shyam