माथे पर अर्ध चंद्र..
दाहिने हाथ में त्रिशूल..
बाएँ हाथ में कमल..
नंदी बैल की सवारी..
ये है मां दुर्गा के नौ रुपों में पहला रुप ,मां शैलपुत्री का
Navratri 2024 : आज नवरात्रि का प्रथम दिन है, और नवरात्रि के प्रथम दिन मां शैलपुत्री की पूजा
पूजा अर्चना की जाती है । जैसे की हम पहले ही बता चुके है.शैलपुत्री मां दुर्गा के 9 रुपों में से पहला रुप है।
पौराणिक कथा के अनुसार माँ शैलपुत्री अपने पिछले जन्म में भगवान शिव की अर्धांगिनी (सती) और दक्ष की पुत्री थीं. कहा जाता है .एक बार जब दक्ष ने महायज्ञ का आयोजन कराया तो इसमें सारे देवताओं को निमंत्रित दिया लेकिन शिव को निमंत्रित नहीं दिया ।उधर सती यज्ञ में जाने के लिए व्याकुल हो रही थीं। तो ,शिवजी ने उनसे कहा कि सारे देवताओं को निमंत्रित किया गया है लेकिन हमारे पास निमंत्रण नहीं आया ।तो वहां जाना उचित नहीं है। सती का प्रबल आग्रह देखकर भगवान भोलेनाथ ने उन्हें यज्ञ में जाने की अनुमति दे दी.Navratri 2024
सती जब घर पहुँचीं तो वहाँ उन्होंने भगवान शिव के प्रति तिरस्कार का भाव देखा. दक्ष ने भी उनके प्रति अपमानजनक शब्द कहे.इससे सती के मन में बहुत पीड़ा हुई. वे अपने पति का अपमान सह न सकीं और योगाग्नि द्वारा स्वयं को जलाकर भस्म कर लिया. इस दुःख से व्यथित होकर शिव ने उस यज्ञ को विध्वंस कर दिया .फिर यही सती अगले जन्म में हिमालयराज की पुत्री के रूप में जन्मीं और शैलपुत्री कहलाईं.Navratri 2024