November 22, 2024

Rani Durgavati Jayanti : रानी दुर्गावती अदम्य साहस और वीरता से भरी गाथा

Rani Durgavati Jayanti

Rani Durgavati Jayanti : भारत की भूमि वीर और वीरांगनाओं से भरी पड़ी है । ऐसे ही भारत को वीरों की धरती नहीं कहा जाता है । भारत कई वीर और वीरंगनाओ की जन्म भूमि है। ऐसी ही भारतीय इतिहास की एक महान वीरांगना थीं, जिन्होंने अपने राज्य और स्वतंत्रता की रक्षा के लिए अपनी जान न्यौछावर कर दी।आज 5 अक्टूबर को उनका जन्मदिवस है,जी हां हम बात कर रहें है । गोंडवाना की शासिका रानी दुर्गावती की, उनका नाम भारतीय इतिहास में वीरता, साहस और बलिदान के लिए आदर से लिया जाता है।Rani Durgavati Jayanti

शुरुआती जीवन
रानी दुर्गावती का जन्म 5 अक्टूबर 1524 को वर्तमान उत्तर प्रदेश के महोबा जिले में हुआ था। वे चंदेल राजवंश से संबंध रखती थीं। उनके पिता राजा कीरत राय महोबा के राजा थे, जो महोबा के प्रसिद्ध वीर योद्धाओं में गिने जाते थे। बचपन से ही रानी दुर्गावती को घुड़सवारी, तीरंदाजी, तलवारबाजी जैसी युद्ध कलाओं में निपुणता हासिल थी। उनकी शिक्षा-दीक्षा एक कुशल योद्धा और प्रशासक बनने की दिशा में हुई थी।Rani Durgavati Jayanti

पति की मृत्यु के बाद संभाला राज्य
16 वर्ष की आयु में रानी दुर्गावती का विवाह गोंडवाना राज्य के शासक दलपत शाह से हुआ। दलपत शाह की मृत्यु के बाद, रानी ने गोंडवाना की गद्दी संभाली और अपनी अल्पवयस्क संतान वीरनारायण के साथ राज्य की बागडोर को बखूबी चलाया। उन्होंने गोंडवाना राज्य को सुव्यवस्थित किया और राज्य की सीमाओं की रक्षा के लिए मजबूत किलेबंदी कराई।Rani Durgavati Jayanti

अकबर की सेनाएँ को दी टक्कर
मुगल सम्राट अकबर की सेनाएँ लगातार विस्तार की कोशिश में थीं और रानी दुर्गावती का राज्य उनकी निगाहों में था। अकबर ने अपने सेनापति आसफ खान को गोंडवाना पर आक्रमण करने के लिए भेजा। रानी दुर्गावती ने पूरी बहादुरी के साथ मुगलों का सामना किया। उनकी सेना संख्या में कम होने के बावजूद, रानी ने हर मोर्चे पर मुगलों से टक्कर ली।

23 जून 1564 को नाराईनाखेड़ा के युद्ध में रानी दुर्गावती ने अपनी छोटी सेना के साथ आसफ खान की विशाल सेना का मुकाबला किया। उनकी सेना पराजित होने लगी, लेकिन रानी ने हार मानने से इनकार कर दिया। उन्होंने वीरगति को चुना और स्वयं अपनी तलवार से अपनी जीवनलीला समाप्त कर ली, लेकिन उन्होंने कभी आत्मसमर्पण नहीं किया।

रानी दुर्गावती की वीरता और उनके बलिदान की गाथा आज भी भारत में साहस और देशभक्ति के प्रतीक के रूप में मानी जाती है। उनके नाम पर मध्य प्रदेश में “रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय” की स्थापना की गई है। इसके अलावा, उनके सम्मान में कई स्मारक और संस्थान बनाए गए हैं।

रानी दुर्गावती ने अपने जीवन से यह संदेश दिया कि राष्ट्र और स्वतंत्रता की रक्षा के लिए किसी भी प्रकार का बलिदान छोटा नहीं होता। उनका जीवन प्रत्येक भारतीय के लिए प्रेरणा का स्रोत है।Rani Durgavati Jayanti

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