Sawan Maah 2024: सावन, जिसे श्रावण के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू कैलेंडर का पांचवां महीना है। यहां सावन के बारे में हम आपको कुछ महत्वपूर्ण बातें बताने जा रहे हैं। ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार सावन आमतौर पर जुलाई-अगस्त में आता है।
महत्व: सावन (Sawan Maah 2024) एक पवित्र महीना माना जाता है, जो हिंदू धर्म के प्रमुख देवताओं में से एक भगवान शिव को समर्पित है।
त्योहार और उत्सव: Sawan Maah 2024
- श्रावणी मेला (देवघर, झारखंड में आयोजित एक मेला)
- कांवर यात्रा (एक तीर्थयात्रा जहां भक्त गंगा से जल लेकर शिव मंदिरों तक जाते हैं)
- श्रावण सोमवार (सावन में सोमवार शिव पूजा के लिए विशेष दिन हैं)
- रक्षा बंधन (भाई-बहन के बीच के बंधन का जश्न मनाने वाला त्योहार)
- नाग पंचमी (सांपों के सम्मान में मनाया जाने वाला त्योहार, जो शिव से जुड़ा है)
अनुष्ठान और प्रथाएं: Sawan Maah 2024
- उपवास और मांसाहारी भोजन से परहेज
- भगवान शिव की दूध, जल और फूल आदि से पूजा करें
- शिव मंत्रों का जाप और प्रार्थना
- शिव मंदिरों के दर्शन और नदियों में पवित्र डुबकी लगाना
ज्योतिषीय महत्व: सावन का संबंध श्रवण नक्षत्र से है, जो आध्यात्मिक विकास और नई शुरुआत के लिए शुभ माना जाता है। भारत और नेपाल के विभिन्न क्षेत्रों में इसे लेकर उत्सव और परंपराएँ भिन्न-भिन्न हैं।
सावन माह शिव पूजा के लिए विशेष माना जाता है। इस माह में कई महत्वपूर्ण अनुष्ठान किए जाते हैं। शिव पूजा में इन उपायों को अपनाकर आप भगवान महादेव को प्रसन्न कर सकते हैं।
तैयारी: Sawan Maah 2024
- पूजा क्षेत्र को साफ और शुद्ध करें।
- शिव लिंग (मूर्ति) को जल, दूध और शहद से स्नान कराएं।
- लिंग को फूल, पत्तियों और विभूति (पवित्र राख) से सजाएं।
पूजा चरण: Sawan Maah 2024
- लिंग पर जल, दूध और दही चढ़ाएं।
- लिंग पर विभूति, चंदन का पेस्ट और कुमकुम (लाल पाउडर) लगाएं।
- शिव मंत्र का जाप करें: “ओम नमः शिवाय” या “ओम रुद्राय नमः”।
- मंत्रों का जाप करते हुए लिंग पर जल या दूध चढ़ाएं।
- लिंग पर फूल, फल और प्रसाद चढ़ाएं।
- दीया और अगरबत्ती जलाएं।
- आरती (प्रार्थना) और प्रसाद वितरण के साथ समापन करें।
विशेष सावन शिव पूजा अनुष्ठान: Sawan Maah 2024
- कांवर यात्रा: लिंग पर चढ़ाने के लिए गंगा या नजदीकी नदी से जल ले जाएं।
- रुद्र अभिषेक: 11 या 101 कलश जल से अभिषेक करें।
- लघु रुद्र: लघु रुद्र मंत्र का 11 या 21 बार जाप करें।
- शिव पूजा में (पारंपरिक मान्यताओं के अनुसार) तुलसी के पत्तों का उपयोग करने से बचें।