Someshwar Dham Temple: देश में एक से बढ़कर एक शिव मंदिर हैं। सभी की अलग—अलग मान्यताएं हैं। एक ऐसा ही अनोखा शिव मंदिर है जो साल में एक बार ही खुलता है और सालभर बंद रहता है। यहां तक की भगवान शिव के प्रिय माह सावन में भी यह मंदिर खुलता नहीं बल्कि बंद रहता है। यह मंदिर राजधानी भोपाल से 45 किमी दूर स्थित रायसेन (Raisen) का किला इतिहास की अनूठी कहानी कहता है। 11वीं शताब्दी के आस-पास बने इस किले पर कुल 14 बार कई मुगल शासकों और राजाओं ने हमले किए। तोपों और गोलों की मार झेलने के बाद भी आज तक यह किला सीना तानकर जस का तस खड़ा है। यह मंदिर सोमेश्वर धाम (Someshwar Dham Temple ) के नाम से जाना जाता है जो कि किले की प्राचीर पर स्थित है।
इतिहासकारों के अनुसार रायसेन का किला (Raisen Fort) एक हजार ईसा पूर्व बनवाया गया था। तब आक्रमणकारियों ने इस प्राचीन शिव मंदिर (Ancient Shiv Temple) सोमेश्वर धाम मंदिर को क्षतिग्रस्त कर दिया था। Someshwar Dham Temple
साल में एक बार खुलता है मंदिर
ये सोमेश्वर मंदिर (Someshwar Dham Temple) इस किले के परिसर में ही स्थापित है। ये मंदिर साल में केवल एक दिन महाशिवरात्रि (Mahashivratri) के दिन ही खुलता है। बाकी 364 दिन इस शिव मंदिर के पट बंद करके उन पर ताले लटका दिए जाते हैं। सोमेश्वर धाम मंदिर के प्रति आसपास के श्रद्धालुओं में गहरी आस्था है।
12वीं शताब्दी में बनाया गया था यह मंदिर
ऐतिहासिक पन्नों को पलटा जाए तो रायसेन के किले का इतिहास बड़ा ही रोचक है। कहा जाता है कि इस पवित्र मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी में किया गया था। इससे जुड़ा एक मिथक भी है कि इस मंदिर का निर्माण इस तरह किया गया था कि सुबह उगते सूर्य की किरणें जैसे ही सोमेश्वर धाम (Someshwar Dham Temple ) पर पड़ती हैं, तो मंदिर के कुछ हिस्से सोने जैसी सुनहरी रोशनी की तरह जगमगा उठते थे। Someshwar Dham Temple
अद्भुत है मान्यता
अन्य मंदिरों की तरह ही यहां की भी अद्भुत मान्यता है। सोमेश्वर धाम मंदिर (Someshwar Dham Temple) भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है। मान्यता है कि जो भी भक्त यहां महाशिवरात्रि के दिन सच्चे मन से भगवान शिव के दर्शन करने पहुंचता है, उसकी हर मुराद पूरी हो जाती है। यही कारण है कि यहां आने वाले शिवभक्त साल में एक बार महाशिवरात्रि पर भले ही दर्शन करने यहां आते हैं। लेकिन अन्य दिनों में मंदिर के पट बंद रहने के बादजूद मंदिर के बाहर बैठकर ही भगवान शिव की आराधना करते हैं।