Vice President: सदन में शीतकालीन सत्र चल रहा है, सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों रोज नये हंगामे कर कुछ न कुछ बवाल मचाये रहते हैं। इसी बीच विपक्ष ने राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ़ अविश्वास का नोटिस दिया था। इस मामले में विपक्ष को बड़ा झटका लगा और धनखड़ के खिलाफ लाए गए विश्वास का नोटिस खारिज़ हो गया। आइए इस पूरे मामले पर प्रकाश डालते हैं और जानते हैं कि उपसभापति ने इसकी क्या वजह बताई है? Vice President
उपसभापति हरिवंश ने बताई प्रस्ताव खारिज़ करने की वज़ह
सदन में विपक्ष को बड़ा झटका देते हुए सांसदों द्वारा राज्यसभा में जगदीप धनखड़ के खिलाफ दिए अविश्वास नोटिस को खारिज करते हुए उपसभापति ने बड़ा बयान भी जारी किया। उन्होंने राज्यसभा के महासचिव पी सी मोदी को सौंपे अपने फैसले में कहा कि इस व्यक्तिगत रूप से लक्ष्य किए हुए नोटिस की गंभीरता तथ्यों से रहित है और इसका उद्देश्य सिर्फ प्रचार हासिल करना और मौजूदा उपराष्ट्रपति को बदनाम करने की साजिश का हिस्सा है। उन्होंने यह भी कहा कि यह सबसे बड़े लोकतंत्र के उपराष्ट्रपति के उच्च संवैधानिक पद को ‘जानबूझकर अपमानित करने’ जैसा कार्य है। उपसभापति हरिवंश ने नोटिस को खारिज करते हुए यह भी कहा कि नोटिस का फॉर्मेट भी सही नहीं है। संविधान के आर्टिकल 90 (C) के अनुसार किसी भी प्रस्ताव को लाने के लिए 14 दिन पहले ही नोटिस देना होता है, लेकिन संसद का शीतकालीन सत्र केवल 20 दिसंबर तक ही चलना है। ऐसे में दिया गया नोटिस मंजूर नहीं है। राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने नोटिस के बारे में कई खामियाँ भी बताई थीं। नोटिस पूरी तरह से अनुचित, त्रुटियों से भरा हुआ बेतरतीब तरीके से तैयार किया गया था। इसमें कई गलतियाँ भी पाई गईं हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, नोटिस जिसको लिखा गया है, उसके नाम के बारे में कोई जानकारी नहीं है और पूरी याचिका में उपराष्ट्रपति के नाम की स्पेलिंग भी गलत है एड्रेस का पता नहीं है। साथ ही संबंधित दस्तावेज़ संलग्न नहीं हैं। मीडिया रिपोर्ट को आधार बनाकर इसे तैयार किया गया है। Vice President
क्यों नाराज़ है धनखड़ से विपक्ष?
इंडिया अलायंस के 60 सांसदों ने 10 दिसंबर को उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ को उनके पद से हटाने के लिए अनुच्छेद 67बी के तहत नोटिस पर हस्ताक्षर किए थे, जिसमें आरोप लगाया गया था कि उन्हें सभापति पर भरोसा नहीं है। इस मामले से सभापति जगदीप धनखड़ ने खुद को अलग करते हुए उपसभापति को नोटिस के निपटारे की जिम्मेदारी सौंपी दी थी। राज्यसभा के इतिहास में पहली बार सभापति को हटाने का प्रस्ताव पेश किया गया। इंडिया अलायंस ने सभापति धनखड़ पर पक्षपातपूर्ण तरीके से काम करने का आरोप लगाया। विपक्ष ने जगदीप धनखड़ पर सदन में पक्षपातपूर्ण बर्ताव करने का आरोप लगाते हुए इस नोटिस दिया था। इस मामले में कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा था कि हमने केवल विपक्षी नेताओं के अपमान को लेकर अपनी आवाज उठाई है। उन्होंने यह भी कहा कि आम आदमी पार्टी, समाजवादी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस, शिवसेना (यूबीटी), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार), झारखंड मुक्ति मोर्चा, डीएमके समेत विपक्षी दलों के सांसदों ने इस प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए हैं। जयराम रमेश ने यह भी दावा किया था कि सरकार नहीं चाहती कि सदन चले। जयराम रमेश ने संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू पर भी आरोप लगाते हुए कहा कि रिजिजू ने राज्यसभा सभापति और जेपी नड्डा के सामने राज्यसभा नहीं चलने देने की बात कही थी। उन्होंने दावा किया कि फ्लोर लीडर्स की बैठक में रिजिजू ने यह कहा था कि जब तक आप लोकसभा में अडानी का मुद्दा उठाते रहेंगे, हम राज्यसभा नहीं चलने देंगे। Vice President