धर्म/अध्यात्म

राजा विक्रमादिय ने की थी बप्पा की इस मूर्ति की स्थापना

भोपाल। साल के सबसे बड़े त्योहारों में से एक ‘गणेश चतुर्थी’ या ‘विनायक चतुर्थी’ का त्यौहार, बस अब आने ही वाला है। ऐसे में श्री गणेश के आगमन के लिए हर तरफ पंडाल निर्माण और साजो सज्जा का कार्य भी ज़ोरों-शोरों से चालू है। साथ ही मंदिरों में भी बप्पा के भक्तों की भीड़ लगना शुरू हो चुकी है। आज हम बात करेंगे ऐसे ही एक सर्वप्रसिद्ध मंदिर, श्री चिंतामण गणेश मंदिर की, जो वैसे तो पूरे भारत में कुल 4 जगह मौजूद है और जिनमे से चारों ही मंदिरों में विराजमान प्रतिमाएं, स्वयंभू बताई जाती हैं, लेकिन सीहोर स्थित इस मंदिर की कहानी काफी अलग और दिलचस्प बताई जाती है।

क्यूंकि इस मंदिर में रखी प्रतिमा की स्थापना स्वयं राजा विक्रमादित्य द्वारा की गयी थी।

कथा है कि एक दिन राजा विक्रमादित्य के स्वप्न में स्वयं भगवन श्री गणेश आए और पार्वती नदी के तट पर पुष्प रूप में मूर्ति होने की बात बताई और राजा विक्रम को मंदिर बनाकर उसे स्थापित करने का आदेश दिया, राजा विक्रमादित्य ने कहे अनुसार पार्वती नदी के तट पर ढूंढ़ने पर उन्ह्र वो पुष्प मिल गया और अपने राज्य की ओर वापिस चल दिए। लौटते वक़्त रात हो गयी और अचानक से वह पुष्प, मूर्ति में परिवर्तित हो गया और वहीं ज़मीन में धंस गया।

अंगरक्षकों की लाख कोशिशों के बावजूद, वह मूर्ति टस से मस न हुई। परिणामस्वरूप राजा विक्रम ने मूर्ति को वहीं स्थापित किया और मंदिर का निर्माण करवाया। जिसके कुछ वर्षों बाद मराठा पेशवा बाजीराव प्रथम ने राज्य विस्तार की मनोकामना पूर्ण होने पर यहां दर्शन किया और नदी किनारे देवालय का निर्माण करवाया।

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