कब है देवउठनी एकादशी ? जानें,तिथि और महत्व…
दिवाली के बाद पड़ने वाली देव उठनी एकादशी का हिन्दू धर्म में एक अलग ही महत्व है चालिए जानते हैं इसके महत्व को...
भोपाल।हिंदू धर्म में एकादशी का बहुत ही महत्व माना जाता है। इस बार दीवाली के बाद पड़ने वाली देवउठनी एकादशी का एक अगल विशेष महत्व माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन प्रथ्वी के पालन हार हरि विष्णु 6 महीने की शयन निद्रा से जगाते हैं। इस दिन चातुर्मास खत्म हो जाता है। शादी -विवाह मुंडन जैसे कई शुभ कार्य शुरू हो जाते हैं। चलिए जानते हैं 2025 में दीवाली के बाद कब है देव उठनी एकादशी
देव उठनी एकादशी की तिथि
इस वर्ष देव उठनी एकादशी 1 नवंबर को सुबह 9 बजकर 12 मिनट से प्रारंभ होगी। जो की 2 नवंबर को सुबह 7 बजकर 32 मिनट पर इसका समापन हो जाएगी।
देव उठनी एकादशी का महत्व
देवउठनी एकादशी की बात करें तो यह बहुत ही खास एकादशी है। यह लोगों के धार्मिक और समाजिक दोनों जीवन के लिए बहुत ही खास होती है चालिए देखते हैं इसका महत्व…
भगवान विष्णु का जागरण
इस दिन भगवान विष्णु निद्रा से जागते हैं। इसी कारण इसे “उठनी” एकादशी कहा जाता है
शुभ कार्यों की शुरुआत
चातुर्मास के दौरान विवाह, गृह प्रवेश, नामकरण, मुंडन आदि जैसे मांगलिक कार्य वर्जित माने जाते हैं। लेकिन देव उठनी एकादशी के बाद इन कार्यों की फिर से शुरुआत होती है। इसलिए इसे शुभ कार्यों की बहाली का दिन भी कहा जाता है।
पापों से मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति
इस दिन व्रत रखने और भक्ति भाव से भगवान विष्णु की पूजा करने से पापों का नाश होता है। यह व्रत आत्मशुद्धि और मोक्ष की ओर एक सार्थक कदम माना जाता है, विशेषकर यदि श्रद्धा और निष्ठा से किया जाएइस दिन व्रत, पूजा, दान और सत्कर्मों से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, समृद्धि और आध्यात्मिक उन्नति आती है। यह दिन भक्तों के लिए मनोकामना पूर्ण करने वाला और सौभाग्यदायक होता है।



