धर्म/अध्यात्म

ज्योतिषीय विश्लेषण; गुरु ग्रह अपनी गति से तेज चलता है, तो आते हैं ब्रह्मांड में परिवर्तन

ज्योतिष ज्ञान गोष्ठी मंच द्वारा आयोजित कार्यशाला में ज्योतिष ज्ञान पर चर्चा

भोपाल। ज्योतिष ज्ञान गोष्ठी मंच द्वारा आयोजित छठवीं कार्यशाला में कई ज्योतिषी एक मंच पर आए। इस कार्यशाला का उद्देश्य समाज में ज्योतिष शास्त्र के प्रति व्याप्त भ्रांतियों को दूर करना और जन सामान्य को ज्योतिष की उपयोगिता और महत्ता से अवगत कराना है।

कार्यशाला के मुख्य विषय:

वर्तमान में घटित घटनाएं: वायुयान दुर्घटना और राजा रघुवंशी की घटना के पीछे के ज्योतिषीय कारणों पर चर्चा की गई।

– *ग्रहों की स्थिति*: गोचर में गुरु ग्रह का अतिचारी होना, मंगल का नीच राशि में उग्र होना, और राहु की स्थिति के प्रभावों पर चर्चा की गई।

– *काल सर्प योग, पितृ दोष और मंगल दोष*: इन दोषों के प्रभावों और उनके निवारण के उपायों पर चर्चा की गई।

*कार्यक्रम के आयोजक और संयोजक: आचार्य रजनी निखिल और आचार्य डॉ. शैलजा- *संयोजक*: श्री प्रतीष सक्सेना जी- *विशेष मार्गदर्शन और सहयोग*: श्री अतीष कुमार की मुख्य भूमिका रही।

कार्यक्रम में सम्मानित विद्वान:आचार्य श्री नीलेश व्यास नीलबड़ से आए आचार्य श्री नीलेश व्यास जी ने अपनी संस्था से कुछ सनातन धर्म पर विशेष सहयोग करने वाले विद्वानों को सम्मानित किया।- आयोजन में शिरकत करने वाले दैवज्ञ ज्योतिषाचार्य आनंद वृद्धिवानी, निलेश कुमार व्यास, डॉ प्रीति वाघमारे,बीआर चौधरी,नीलेश अग्रवाल,लोकेश शर्मा जी,लखीम चंद्र चौधरी, डॉ संगीता सोनी, सीमा बजाज, प्रभा पाराशर, रेखा माथुर, पंडित श्यामसुंदर दुबे, डीडी वैरागी,मनोज श्रीवास्तव,कविता जैन,आशना गुप्ता, स्वतंत्रता काटोत्कर,राजेंद्र शर्मा ,दिनेश कुमार पास्टर,अनुपम शुक्ला,पंडित गंगा प्रसाद आचार्य,आशीष आचार्य, भावेश श्रीवास्तव,कंचन लाल जैन, पूजा दुबे, हेमा खत्री मौजूद रहे।

अनेक विद्वानों के अनुसार, वर्तमान में गोचर में गुरु ग्रह का अतिचारी होना, मंगल का नीच राशि में उग्र होना, और राहु की स्थिति के कारण कई प्रकार की घटनाएं हो सकती हैं। इनमें से कुछ प्रमुख विषय हैं:

  • गुरु ग्रह का अतिचारी होना: जब गुरु ग्रह अपनी गति से तेज चलता है, तो इससे ब्रह्मांड में परिवर्तन आते हैं और कई प्रकार की घटनाएं हो सकती हैं।
  • मंगल का नीच राशि में उग्र होना: मंगल ग्रह का नीच राशि में उग्र होना वायु प्रतीक ग्रह के रूप में कई प्रकार की समस्याएं पैदा कर सकता है।
  • काल सर्प योग, पितृ दोष और मंगल दोष: इन दोषों के कारण वैवाहिक जीवन में बाधाएं आ सकती हैं और अन्य समस्याएं भी उत्पन्न हो सकती हैं।

सुरक्षात्मक उपाय

कई विद्वानों का मत है कि इन ज्योतिषीय परिस्थितियों से डरने की आवश्यकता नहीं है, बल्कि अपने गुरु, इष्ट और ईश्वर में आस्था रखते हुए अपने आत्मबल को मजबूत करना चाहिए। इसके अलावा, यात्राएं करते समय किसी अच्छे ज्योतिषी से मुहूर्त और ग्रह गोचर की स्थिति जानकर आगे बढ़ना चाहिए।

बृहस्पति की अतिचारी स्थिति

चूंकि बृहस्पति 12 वर्षों के लिए अतिचारी है, इसलिए हमें पूर्ण रूप से सुरक्षात्मक होते हुए कार्य करना चाहिए और यात्राएं करनी चाहिए। इससे हम इन ज्योतिषीय परिस्थितियों के प्रभावों को कम कर सकते हैं और अपने जीवन को सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ा सकते हैं।

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