धर्म/अध्यात्म

सावन मास : जानें,अधूरे शिव मन्दिर का पूरा रहस्य,कोई नहीं बना सका इसे पूरा…

भोपाल। मानव की शुरू से ही रहस्यमय चीजें को जानने की प्रवृति रही है।मनुष्य इस धरती पर छिपे रहस्य की खोज करता रहता है।पर ऐसे कई रहस्य हैं जो मनुष्यों की समझ से परे हैं। ऐसे ही रहस्यों से भरा, मध्य प्रदेश के भोपाल शहर से 32 किलोंमीटर दूर रायसेन जिले के भोजपुर में स्थित भोजपुर मंदिर है। यह मन्दिर अपने भीतर कई रहस्यों को दफन किए हुए है। यहां की सबसे हैरान करने वाली बाते यहां का अधूरा शिव मंदिर और एक बडे़ पत्थर से बना शिवलिंग है।जिसे लेकर कई कहानी प्रचलित हैं।

रायसेन जिले के भोजपुर में स्थित भोजपुर मंदिर का निर्माण 11वीं सदी में परमार वंश के राजा भोज प्रथम ने करवाया था। यह मंदिर बेतवा नदी के किनारे बना हुआ है। इस मंदिर के आस-पास का वातावरण मन को मोह लेता है। इस मंदिर की दो बातें इस बहुत ही खास बनाती है साथ ही यह बातें हर किसी को हैरान कर देती हैं। पहली बात इस मंदिर का अधूरा होना और दूसरी बात इस मंदिर का शिवलिंग, जो कि विश्व का पहला ऐसा विशाल शिवलिंग है। जो एक ही पत्थर से बना हुआ है।

मंदिर के बनने के पीछे की पौराणिक कथा
मंदिर को लेकर पौराणिक कथा के अनुसार कहा जाता है। कि मंदिर के बनने के पीछे की कहानी महाभारत काल से जुड़ी हुई है।भोपाल के पास भीमबेटका में पांडव कुछ दिन के लिए ठहरे थे। मां कुंती रोज शिव की पूजा करती थी। लेकिन अज्ञातवास के दौरान जहां वो ठहरी थी। वहां कोई शिव मंदिर नहीं था। इसलिए भीम ने बेतवा नदी के किनारे रातों -रात सूर्योदय होने से पहले शिव मंदिर को बनाने का वचन लिया।ताकि सुबह होते ही माता कुंती नदी में स्नान कर शिव की पूजा कर पाए। जब वो मंदिर को बना रहे थे। तब मंदिर बनने से पहले ही सुबह हो गई। और मंदिर का निर्माण कार्य अधूरा रह गया। इस मंदिर को भोजेश्र्वर महादेव के नाम से भी जाना जाता है। इतिहासकरों व पुरातत्विदों के अनुसार इस मंदिर का निर्माण मुगलों के भारत आगमन से पहले हुआ था।

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