धर्म/अध्यात्म

कामिका एकादशी 2025: हरि-हर (विष्णु और शिव) की संयुक्त पूजा का बना दिव्य संयोग…

भोपाल।समस्त व्रतों में एकादशी श्रेष्ठ है। हिंदू धर्म की आस्थाओं में यह तिथि विशेष स्थान रखती है, जो भगवान विष्णु एवं मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्ति का अमोघ उपाय मानी जाती है। एकादशी व्रत से न केवल पापों का क्षय होता है, बल्कि मोक्ष, सुख और समृद्धि का द्वार भी खुलता है।

कामिका एकादशी की तिथि
इस वर्ष कामिका एकादशी का व्रत 21 जुलाई 2025, सोमवार को रखा जाएगा। विशेष बात यह है कि इस दिन सावन सोमवार भी है, जिससे हरि-हर (विष्णु और शिव) की संयुक्त पूजा का दिव्य संयोग बन रहा है।

महासंयोग और पंचांग विशेषताएँ

2025 की कामिका एकादशी पर अनेक ज्योतिषीय योग एक साथ बन रहे हैं, जो इस व्रत को और अधिक प्रभावशाली बना देते हैं:

रोहिणी नक्षत्र का प्रभाव— जो सौम्यता और समृद्धि का प्रतीक है।

वृद्धि योग— जो जीवन में उन्नति, विस्तार और प्रगति का संकेत देता है।

बुधादित्य योग— सूर्य और बुध के कर्क राशि में एकसाथ होने से बुद्धि और मान-सम्मान की वृद्धि।

मालव्य योग— शुक्र के वृषभ राशि में होने से यह अत्यंत शुभ राजयोग निर्मित होता है, जो ऐश्वर्य और आनंद का प्रतीक माना जाता है।

इन चारों योगों के कारण यह एकादशी विशेष रूप से पुण्यदायक बन जाती है।

व्रत का महत्व और पूजन विधि

कामिका एकादशी का मूल उद्देश्य है – इंद्रियों और मन पर नियंत्रण, जिससे साधक आत्मिक उन्नति की ओर अग्रसर हो सके। इस दिन श्रद्धालु भगवान विष्णु की आराधना कर मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त कर सकते हैं।

शुभ पूजन उपाय

1.भगवान विष्णु को केसर मिश्रित दूध से स्नान कराना और खीर का भोग अर्पित करना अति शुभ होता है।

2.कमल का पुष्प अर्पण करने से लक्ष्मीजी विशेष प्रसन्न होती हैं।

3.तुलसी के पौधे के नीचे घी का दीपक जलाने से धन-संपत्ति में वृद्धि होती है।

4.इस दिन भगवद्गीता या विष्णु सहस्रनाम का पाठ करना अत्यंत पुण्यदायी होता है।

किन लोगों पर बरसेगी मां लक्ष्मी की कृपा?

जिन भक्तों का मन भक्ति, संयम और श्रद्धा से परिपूर्ण होगा, और जो व्रत के नियमों का पूर्ण पालन करेंगे, उन पर मां लक्ष्मी की विशेष अनुकंपा बरसेगी। विशेषकर वे भक्त जो इस दिन हरि को खीर, कमल और तुलसी अर्पित करेंगे, उन्हें धन, संतोष और आध्यात्मिक शांति की प्राप्ति ।
सावन माह, चातुर्मास, सोमवार और कामिका एकादशी का अद्भुत संगम — 21 जुलाई 2025 को बन रहा है एक ऐसा पुण्य अवसर, जहां हरि-हर दोनों की आराधना कर जीवन की अनेक बाधाओं से मुक्ति और सुख-समृद्धि प्राप्त की जा सकती है। श्रद्धा, संयम और सच्चे भाव से किया गया यह व्रत निश्चित ही साधक को आध्यात्मिक उन्नयन की ओर ले जाएगा।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button