धर्म/अध्यात्म

Krishna Janmashtami : हिमाचल के प्राचीन कृष्ण मंदिर में अलग तरीके से मनाई जाती है कृष्ण जन्माष्टमी

बर्फीली पहाडियों के बीच में किन्नोर में बना प्राचीन कृष्ण मंदिर मन को मोह लेता है। साथ ही, इस मंदिर के पास बनी अद्भुत सुंदर पवित्र झील इस मंदिर की शोभा और भी बड़ा देती है.

भोपाल।भारत में हर जगह जन्माष्टमी का त्योहार बहुत ही धूमघाम से मनाया जाता है. लेकिन जब बात आती है सबसे ज्यादा अच्छे तरीके से जन्माष्टमी कहां मनाई जाती है तो सबसे पहले लोगों की जुंबा पर एक ही नाम आता है। और वो है मथुरा, जी हां हर साल जन्माष्टमी पर लाखों लोग मथुरा में श्री कृष्ण का जन्मोत्सव मनाने जाते हैं।

लेकिन हिमाचल की सुंदर पहाड़ियों में स्थित वर्ल्ड का सबसे ऊंचा प्राचीन कृष्ण मंदिर युल्ला कांड़ा में कृष्ण जन्माष्टमी को बहुत अलग ढंग से मनाया जाता है। मथुरा में जहां जन्माष्टमी बहुत धूमधाम से मनाई जाता है। तो, वहीं युल्ला कांड़ा में यह महोत्सव बहुत ही शांत और सरल तरीके से मनाया जाता है।

यहां पर मंदिर को भी बहुत ही सुंदर और सादगी से सजाया जाता है। यहां रंगीन कपड़ो और फूलों से मंदिर को सजाकर दीप जलाए जाते हैं।जन्माष्टमी पर यहां का नजारा देखने लायक होता है।यहां मन को मोह लेने वाला वातावरण आत्मा में शांति प्रदान करता है। साथ ही यहां दही-हांडी भी फोड़ी जाती है।

युल्ला कांड़ा में मटकी फोड़ी जाती है
युल्ला कांड़ा में जन्माष्टमी में मटकी यानी दही-हांडी भी फोड़ी जाती है। यह बहुत ही सादगी और आध्यात्मिक माहौल में मनाया जाता है यहां जन्माष्मी की रात को 12 बजे यहां के लोग स्थानीय अपनी पारंपरिक कपड़ो में जन्मोत्सव धूमधाम से भजन गाते हुए बहुत ही सादगी से मनाया जाता है।

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