Haritalika Teej Vrat : स्त्री के प्रेम प्रेम समर्पण और त्याग को दर्शाता हरितालिका तीज व्रत जानें,तिथि…
हरितालिका तीज व्रत स्त्री का प्रेम, समर्पण और त्याग को दर्शाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार मां पर्वती ने शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तप किया था। यह व्रत शिव और देवी पर्वती के प्रेम को दिखाता है।

भोपाल। भारत में पति की लम्बी आयु के लिए वैसे तो कई व्रत उपवास रखे जाते हैं लेकिन हरतालिका तीज व्रत सबसे खास माना जाता है सुहागिन औरतें अपने पति की लम्बी उम्र के लिए यह व्रत रखती हैं और वहीं,कुमारी कन्याएं एक अच्छा वर पाने के लिए के लिए यह व्रत रखती हैं।
कब है हरितालिका तीज का व्रत
इस बार 2025 में हरितालिका तीज का व्रत 26 अगस्त मंगलवार को पड़ेगा। यह व्रत 25 की रात को 12.35 से शुरू होगा।
हरितालिका तीज की पौराणिक कथा
हरितालिका तीज की पौराणिक कथा के अनुसार कहा जाता है कि देवी पार्वती के पिता ने उनकी इच्छा के विरुद्ध देवी पार्वती का विवाह विष्णु जी से तय कर दिया था। जब देवी पार्वती को यह बात पता चली है। उन्होंने अपनी एक सखी के साथ मिलकर अपने पिता का घर छोड़ दिया और जंगल में जाकर बालू का शिवलिंग बनाकर शिव को पति रूप में पाने के लिए शिव की घोर तपस्या करती हैं।
इस दौरान देवी पार्वती ने सब कुछ खाने पीने का त्याग कर देती है तभी शिव जी उनकी इस घोर तपस्या से प्रसन्न होकर उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार करते हैं। कहा जाता है जो भी कुमारी और सुहागिन स्त्री इस व्रत को सच्चे मन से रखती हैं. उनकी सब मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
कैसे रखते हैं व्रत
यह व्रत रात को 12 बजे से शुरू हो जाता है। व्रत रखने से पहले केला और ककड़ी को खाकर जामुन की दातुन कर यह व्रत रखा जाता है. इस दिन न तो कुछ खाया जाता है और न ही कुछ पीया जाता है। यह व्रत निर्जल रखा जाता है । इस दिन स्त्री और कुमारी कन्याएं मेहँदी लगाती है। नए कपड़े पहनकर पूरा सिंगार कर अच्छे से सजती संभरती हैं। और रात भर जागकर मां पार्वती और शिव की पूजा अर्चना करती भजन खाती हैं। और दूसरे दिन व्रत खोलती हैं।