धर्म/अध्यात्ममध्यप्रदेश

महालक्ष्मी व्रत से पहले बाजारों में बढ़ी रौनक,जानें, व्रत में मिट्टी के हाथी का धार्मिक महत्व, मुहूर्त…

महालक्ष्मी व्रत में सबसे ज्यादा महत्व मिट्टी के हाथी का माना जाता है।महालक्ष्मी व्रत के आने से पहले ही बाजारों में मिट्टी के हाथी बिकना शुरु हो जाते है।शहरों में ही नहीं बल्कि गांवों में भी यह बेचे जाते हैं।

भोपाल। भोपाल जैसे शहरों में महालक्ष्मी व्रत से पहले बाजारों में रौनक बढ़ जाती है, जहां महिलाएं हाथी और पूजन सामग्री की खरीदारी करती हैं। कई ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म भी पूजा होम दिवाली पूजा सामग्री किट जैसी व्यापक किट प्रदान करते हैं, जिसमें 47 से अधिक आवश्यक वस्तुएं शामिल होती हैं।

महालक्ष्मी व्रत में मिट्टी के हाथी का महत्व

महालक्ष्मी पूजा के लिए मिट्टी के हाथी और पूजन सामग्री की बिक्री धार्मिक महत्व के कारण बहुत मांग में रहती है। इस पूजा में मिट्टी के हाथी का विशेष महत्व है, जिसे गजलक्ष्मी व्रत या हाथी पूजा भी कहा जाता है।

कब है महालक्ष्मी?

महालक्ष्मी व्रत हर साल आश्विन मास की कृष्णपक्ष अष्टमी की तिथि को रखा जाता है। यह व्रत इस साल 14 सितंबर को पड़ने वाला है। यह व्रत बहुत लाभकारी होता है माना जाता इस व्रत रखने से घर में सुख संपत्ति बनी रहती है। यह व्रत घर की महिलाओं के द्वारा रखा जाता है

महालक्ष्मी व्रत का शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार महालक्ष्मी व्रत की पूजा के लिए अगर शुभ मुहूर्त कि बता करें तो, सुबह 9.19 से 10.50 तक रहेगा। वही पूजा के दूसरे मुहूर्त की बात करें तो, दोपहर में पूजा का अभिजीत मुहूर्त है। यह मुहूर्त 1.53 बजे से 3.25 तक रहेगा। वहीं, शाम के समय इस पूजा का मुहूर्त 6.27 से 7.56 तक रहेगा।

पूजन सामग्री

मिट्टी के हाथी

कलश

आम के पत्ते

नारियल

मोंली/मौली (कलावा)

दीपक/दीया

लाल वस्त्र (कपड़ा)

पुष्प

अक्षत (चावल)

हल्दी, कुमकुम, चंदन

रोली / तिलक / सिंदूर

अगरबत्ती, धूप

फल / मिठाई / नैवेद्य वस्तु

दूध, दही, घी, शहद, शक्कर (पंचामृत हेतु)

सुपारी

पान के पत्ते

पंचधान्य

आरती की थाली

चूड़ी,

बिंदी

पूजा विधि

सुबह-सबसे पहले घर और घर के मंदिर की सफाई करें।
शुद्ध स्नान करें।
और यह व्रत को आप अपनी शक्ति के अनुसार निर्जल या फलाहार रखें।
मिट्टी के हाथी का गजलक्ष्मी का पूजन करें।
लक्ष्मी मां के गजलक्ष्मी रुप की पूजा करें
मां को लाल वस्त्र अर्पण करें ।
सिंदूर चावल का तिलक लगा कर फूल अर्पण करें
भोग लगाएं।
इस व्रत की कथा और कहानी पढ़े।
आरती करें।
मां से विनती करें पूजन सामग्री को पूजा के बाद दान कर दे

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