Navratri का महत्व और कथा, जानिए, दस महाविद्यायाओं में कब होती है किस देवी की पूजा…

भोपाल। नवरात्रि हिन्दू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है, जो विशेष रूप से देवी दुर्गा की पूजा के लिए मनाया जाता है। यह पर्व हर साल दो बार मनाया जाता है। यह त्योहार लगभग 9 दिनों तक चलता है।
नवरात्रि का महत्व
नवरात्रि का शाब्दिक अर्थ है “नौ रातें”। इस दौरान देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है और हर दिन एक रूप की पूजा होती है। यह पर्व अच्छाई की बुराई पर विजय, आत्मिक शुद्धता और देवी शक्ति की आराधना के रूप में मनाया जाता है।
नवरात्रि की कथा
नवरात्रि का मुख्य कथा महा देवी दुर्गा के साथ जुड़ी हुई है, जिन्हें शक्ति की देवी माना जाता है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, राक्षसों के राजा महिषासुर ने देवताओं से युद्ध करके स्वर्ग पर अधिकार कर लिया था। महिषासुर की शक्ति इतनी प्रबल थी कि वह देवताओं को परास्त कर देता था और कोई भी उसे हराने में सक्षम नहीं था। इस कारण से, सभी देवताओं ने मिलकर देवी दुर्गा को उत्पन्न किया। देवी दुर्गा की शक्ति और रौद्र रूप से महिषासुर का वध हुआ और उसने देवताओं को शरण दी। यही विजय दुर्गा की पूजा का कारण बनी।
इस कहानी से यह संदेश मिलता है कि जब बुराई, अहंकार और असत्य अपने चरम पर होते हैं, तब देवी शक्ति की आराधना से उस बुराई का विनाश संभव होता है। नवरात्रि की नौ रातें, आत्मिक शक्ति, आत्म-संस्कार और मानसिक शांति की प्राप्ति के लिए होती हैं।
नवरात्रि के दिन और पूजा
- प्रथम दिन (प्रथम नवरात्रि): देवी शैलपुत्री की पूजा होती है। देवी का यह रूप हिमालय की बेटी के रूप में माना जाता है।
- द्वितीय दिन (द्वादशी नवरात्रि): देवी ब्राह्मचारिणी की पूजा होती है, जो तपस्या और संयम की देवी हैं।
- तृतीय दिन (तृतीय नवरात्रि): देवी चंद्रघंटा की पूजा होती है, जो शांति और संतुलन की देवी हैं।
- चतुर्थ दिन (चतुर्थ नवरात्रि): देवी कूष्मांडा की पूजा होती है, जो उत्पत्ति और जीवन की देवी हैं।
- पंचम दिन (पंचम नवरात्रि): देवी स्कंदमाता की पूजा होती है, जो युद्ध और शक्ति की देवी हैं।
- षष्ठम दिन (षष्ठम नवरात्रि): देवी कात्यायनी की पूजा होती है, जो शक्ति और पराक्रम की देवी हैं।
- सप्तम दिन (सप्तम नवरात्रि): देवी कालरात्रि की पूजा होती है, जो तमोगुण का नाश करती हैं।
- अष्टम दिन (अष्टम नवरात्रि): देवी महागौरी की पूजा होती है, जो शुद्धता और भक्ति की देवी हैं।
- नवम दिन (नवम नवरात्रि): देवी सिद्धिदात्री की पूजा होती है, जो सिद्धियों और ऐश्वर्य की देवी हैं।
व्रत और उपवास
नवरात्रि के दौरान बहुत से लोग उपवास रखते हैं। उपवास का उद्देश्य शारीरिक और मानसिक शुद्धता प्राप्त करना है। इस समय लोग अपने दैहिक इच्छाओं पर नियंत्रण रखते हैं और अपने आत्मिक विकास पर ध्यान केंद्रित करते हैं।
नवरात्रि का समापन दसवें दिन होता है जिसे विजयदशमी या दशहरा कहते हैं। इस दिन को राक्षसों के वध और अच्छाई की बुराई पर विजय का प्रतीक माना जाता है। विशेष रूप से राम का रावण वध और महिषासुर वध की पूजा होती है।
नवरात्रि न केवल धार्मिक दृष्टि से, बल्कि सांस्कृतिक दृष्टि से भी एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो भारत में हर जगह धूमधाम से मनाया जाता है।



