मध्यप्रदेश

संजय जैन को इस वर्ष का डाॅ.राजेन्द्र कुमार स्मृति सम्मान

भोपाल । प्र‍तिष्ठित डाॅ. राजेन्द्र कुमार स्मृति सम्मान 2025 से इस वर्ष संजय जैन, अपर संचालक जनसंपर्क को सम्मानित किया गया। यह सम्मान उन्हें 18 सितंबर आयोजित समारोह में प्रदान किया गया। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्‍यक कल्याण राज्य मंत्री ( स्वतंत्र प्रभार) कृष्णा गौर रहीं। प्रसिद्ध अभिनेता राजीव वर्मा भी विशेष रूप से उपस्थित रहे। समारोह रंगश्री लिटिल बैले ट्रुप सभागृह श्यामला हिल्स पर शाम 7 बजे से आयोजित किया गया। इस अवसर पर संजय श्रीवास्तव के निर्देशन में रंग दरबार ग्रुप द्वारा नाटक चिट्ठी का मंचन किया अदभुत मंचन किया गया। कार्यक्रम में पूर्वरंग में सीमा बजाज द्वारा कबीर गायन प्रस्तुत किया जाएगा। कार्यक्रम का आयोजन डाॅ. राजेन्द्र कुमार जनसंपर्क एवं पत्रकारिता संस्थान के तत्वावधान में किया गया है। आयोजन में आशीष श्रीवास्तव एवं आतीश श्रीवास्तव की महत्वपूर्ण भूमिका रही।

संजय जैन: जीवन परिचय

उल्लेखनीय है कि संजय जैन बहुआयामी प्रतिभा के अधिकारी हैं। उनमें प्रशासनिक योग्यता और गंभीर रचनात्मकता का मणिकांचन योग है। आप उन बिरले अधिकारियों में से हैं, जिन्होंने शासकीय दायित्वों के साथ-साथ अपनी संवेदनशीलता को सहेजे रखा है। एक सक्षम तथा दूरदर्शी जनसंपर्क अधिकारी होने के साथ आपका साहित्य में भी गहरा दखल है। संजय जैन का जन्म सीहोर जिले के आष्टा में 2 मार्च 1965 को हुआ। आपने गणित में एमएससी की उपाधि हासिल कर साथ में बैचलर आॅ जर्नलिज्म की ‍िडग्री भी प्राप्त की है। 1991 में आपका चयन सहायक संचालक जनसम्पर्क के पद पर हुआ। जनसंपर्क अधिकारी के रूप में आपने अब तक विदिशा और खरगोन के जिला कार्यालयों तथा भोपाल और इन्दौर के संभागीय जनसम्पर्क कार्यालयों में सेवाएं दी और एक संवेदनशील अधिकारी के रूप में छाप छोड़ी। आपने जनसंपर्क विभाग के भी विभिन्न प्रभागों में कुशलता से कार्य किया। विज्ञापन विभाग में रहते हुए विज्ञापन का आॅन लाइन सिस्टम विकसित करने में आपकी अहम भूमिका रही। इसी प्रकार सोशल मीडिया शाखा प्रभारी के रूप में राज्यस्तरीय सोशल मीडिया प्रकोष्ठ को व्यवस्थित रूप में आपने विशेष योगदान दिया। वर्तमान में आप अपर संचालक जनसंपर्क का दायित्व निर्वहन कर रहे हैं। आपको मुख्‍यमंत्री प्रकोष्ठ में कार्य करने का 14 वर्ष कार्य का अनुभव है। रचनात्मक अवदान श्री संजय जैन सृजनात्मक लेखन के क्षेत्र में विगत 35 वर्षों से सक्रिय हैं। उनकी सृजनात्मकता यह फलक काफी विस्तृत है। श्री जैन ने रचनाकार के रूप में कविता, कहानी, व्यंग्य और उपन्यास लेखन के रूप में साहित्य की विभिन्न विधाअों में गहरा रचनात्मक हस्तक्षेप किया है। वो अपने आसपास को पैनी नजर से देखते, समझते और उसका मार्मिक शब्दांकन करते चलते हैं। अपने जीवनानुभव और आसपास के चरित्र संजयजी की रचनाअों के केन्द्र में हैं। दैनंदिन अनुभवों को शब्दों में पिरोने का महीन कौशल उनकी रचनाअों में स्पष्ट झलकता है। उनकी कहानियां मर्मस्पर्शी, मन जो झकझोरने के साथ साथ व्यवस्था की विसंगतियों पर गंभीर प्रश्नचिन्ह भी लगाती हैं। संजयजी की कहानी की कहन और पात्र जमीनी हैं। उनके सरोकार , वेदनाएं और राग द्वेष हमारे आसपास की जिंदगी की रचनात्मक अभिव्यक्ति है। श्री संजय जैन के अब तक दो कहानी संग्रह ‘क्या फर्क पड़ता है’ और “खुली दराज और बिखरी खुशबुएँ’ प्रकाशित हो चुके हैं तथा एक उपन्यास भी प्रकाशनाधीन है। इसके अलावा एक व्यंग्य संग्रह ’51 व्यंग्य’ भी प्रकाशित हो चुका है। श्री संजय जैन की लगभग दो सौ से अधिक व्यंग्य रचनाएँ देश और प्रदेश के लोकप्रिय समाचार पत्रों तथा पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं। साथ ही दो दर्जन से अधिक कहानियाँ देश की प्रतिष्ठित साहित्यिक पत्रिकाओं तथा राष्ट्रीय समाचार पत्रों के साहित्यिक अंकों में प्रकाशित हुई है। इनके अतिरिक्त उनकी कविताएँ, यात्रा संस्मरण तथा समीक्षाएँ तथा समसामयिक विषयों पर अनेक आलेखों का प्रकाशन भास्कर, नई दुनिया, सुबह-सबेरे, जागरण, जनसत्ता, राष्ट्रीय सहारा, कथादेश, हंस, सामयिक सरस्वती, आदि में हुआ है।

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