धर्म/अध्यात्म

कब है छठ पर्व ? जानें,खरना का महत्व…

भोपाल।भारत में छठ पर्व बहुत ही धूमधाम मनाया जाता है। यह चार दिन का पर्व होता है। इस पर्व पर लोग विदेशों से तक अपने घर आते हैं। छठ पर्व भगवान विष्णु और माता छठी को समर्पित होता है। यह त्योहार मुख्य रुप से बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और नेपाल के कुछ हिस्सों में श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। इस पर्व का सबसे अहम हिस्सा होता है खरना, चलिए जानते हैं 2025 में कब है छठ पर्व और खरना का मह्तव

क्या है खरना का महत्व

छठ पर्व में खरना का एक बड़ा और विशेष महत्व है। इसमें पवित्रता पर विशेष ध्यान दिया जाता है।एक दिन का निर्जला उपवास रखा जाता है

साफ सफाई का करें
खरना के साथ व्रतीपूरी तरह से तप, त्याग और संयम की राह पर चल पड़ता है। यह दिन व्रत की शुद्धता और आत्मसंयम का प्रतीक होता है।

निर्जला उपवास
खरना के दिन व्रती पूरा दिन बिना जल ग्रहण किए उपवास रखता है। यह उपवास अगले दिन के सूर्य अर्घ्य तक लगातार चलता है।

शुद्ध और सात्विक भोजन से उपवास का पारण
संध्या समय सूर्यास्त के बाद व्रती गुड़ की खीर, रोटी (गेंहू की रोटी) और केले से उपवास तोड़ता है, जिसे “प्रसाद” कहा जाता है। यह भोजन पूरी तरह से शुद्ध घी में बना होता है और लहसुन-प्याज से रहित होता है।

इस दिन से शुरू होता है कठिन तप
खरना के बाद व्रती लगातार 36 घंटे का कठिन निर्जल व्रत करता है, जिसमें अगले दिन का संध्या अर्घ्य और फिर उसके अगले दिन प्रातः अर्घ्य देना होता है।

स्नान और शुद्धि
व्रती सुबह उठकर स्नान करता है और पूरे घर की सफाई करता है। पूजा के लिए एकांत और स्वच्छ स्थान चुना जाता है।

छठ पर्व पर खरना पूजा विधि

गंगाजल से शुद्धिकरण
सबसे पहले छठ पर्व पर खरना पूजा में साफ सफाई का विशेष ध्यान रखा जाता है। बता दें, पूजा स्थल को गाय के गोबर और गंगाजल से शुद्ध किया जाता है।

खरना का प्रसाद बनाना

  • गुड़ की खीर
  • गेहूं की रोटी (गाय के घी में बनी)
  • केला और अन्य फल

दीप जलाना और पूजा
प्रसाद बनाकर उसे साफ पत्तल या बांस की सुपली में सजाया जाता है। फिर दीप जलाकर सूर्य देव और छठी मइया की पूजा की जाती है।

प्रसाद ग्रहण करना
सूर्यास्त के बाद व्रती सबसे पहले भगवान को अर्पित प्रसाद खाता है, फिर घर के अन्य सदस्य भी प्रसाद ग्रहण करते हैं।

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