धर्म/अध्यात्म

Diwali 2025 : दिवाली आते ही अचानक क्यों बढ़ जाती है उल्लू की बिक्री?

दिवाली आते ही अचानक उल्लू की बिक्री क्यों बढ़ जाती है? आखिर क्या होता है, दिवाली की रात उल्लूओं के साथ, क्यों दीवाली की रात होती है उल्लू की डिमांड ? चालिए जानते हैं इन सभी प्रश्नों के उत्तर,

भोपाल।दीवाली के समय उल्लुओं की अवैध तस्करी और शिकार बढ़ जाता है। इसके पीछे कुछ अंधविश्वास, तांत्रिक परंपराएं, और काली पूजा से जुड़ा अंधविश्वास है।

दिवाली पर कई जगहों पर अंधविश्वास के चलते उल्लू की बली दी जाती है। कहा जाता है। तंत्र साधना करने वालों मानते है कि दिवाली की रात उल्लू की बली देने से धन प्राप्त होता है।साथ ही, यह रात तंत्र साधना के लिए उत्तम मानी जाती है।इस दिन काले जादू की शक्ति बढ़ती है।

तांत्रिक क्रियाओं में उल्लू के अंगों का उपयोग

तांत्रिक विधियों में उल्लू के अंगों का उपयोग किया जाता है। तंत्र साधना करने वालों का ऐसा विश्वास होता है कि उल्लू की आंखों में समोहन की शक्ति होती है। साथ ही,उसके मुंह को लेकर माना जाता है कि उसके मुंह से आप अपने शत्रु पर विजय पा सकते हैं। और उल्लू के पैरों लेकर कहा जाता है कि उल्लू के पैरों को तिजोरी में रखने धन आता है। माना जाता है की उल्लू की आंखों में समोहन की शक्ति होती है। साथ ही,उसके मुंह को लेकर माना जाता है कि उसके मुंह से आप अपने शत्रु पर विजय पा सकते हैं। और उल्लू के पैरों लेकर कहा जाता है कि उल्लू के पैरों को तिजोरी में रखने धन आता है।

माना जाता है की उल्लू की आंखों में समोहन की शक्ति होती है। साथ ही,उसके मुंह को लेकर माना जाता है कि उसके मुंह से आप अपने शत्रु पर विजय पा सकते हैं। और उल्लू के पैरों लेकर कहा जाता है कि उल्लू के पैरों को तिजोरी में रखने धन आता है।

उल्लू की तस्करी बड़ा अपराध

भारत में उल्लू वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत संरक्षित पक्षी है। इनका शिकार या व्यापार गैरकानूनी है और इसके लिए सजा व जुर्माने का प्रावधान है इस सब के बाद भी दिवाली पर उल्लू की तस्करी होती है।

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