Ganesh Chaturthi 2024 : गणेश चतुर्थी, जिसे विनायक चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है, भारत में एक प्रमुख हिंदू त्योहार है, जो भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। 2024 में, यह पर्व 7 सितंबर को मनाया जाएगा और पूरे देश में भक्ति, उत्साह और उल्लास के साथ धूमधाम से मनाया जाएगा।
भगवान गणेश, जिन्हें “विघ्नहर्ता” और “सिद्धिदायक” के रूप में पूजा जाता है, हिंदू धर्म में प्रथम पूज्य देवता हैं। वे ज्ञान, समृद्धि और सौभाग्य के प्रतीक माने जाते हैं। गणेश चतुर्थी का पर्व 10 दिनों तक चलता है, जिसमें श्रद्धालु गणेश जी की प्रतिमा की स्थापना अपने घरों और सार्वजनिक स्थलों पर करते हैं और विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों के साथ उनकी पूजा-अर्चना करते हैं।Ganesh Chaturthi 2024
आधुनिक गणेश चतुर्थी की धूम
गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi 2024 ) का पर्व महाराष्ट्र में विशेष रूप से बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इस पर्व का आयोजन सर्वप्रथम छत्रपति शिवाजी महाराज द्वारा किया गया था, जो मराठा साम्राज्य के संस्थापक थे। यह त्योहार समाज में एकता और सामूहिकता की भावना को बढ़ावा देने के लिए मनाया जाता था। बाद में, लोकमान्य तिलक ने 1893 में इस पर्व को सार्वजनिक रूप से मनाने की परंपरा शुरू की, जिसके बाद यह पूरे देश में प्रसिद्ध हो गया। तिलक ने इसे ब्रिटिश शासन के खिलाफ एक सामाजिक और सांस्कृतिक आंदोलन का रूप दिया।
वर्तमान समय में, गणेश चतुर्थी न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह सांस्कृतिक और सामाजिक एकता का भी प्रतीक बन गया है। मुंबई, पुणे, हैदराबाद और चेन्नई जैसे महानगरों में भव्य पंडालों की स्थापना की जाती है, जहाँ गणेश जी की विशालकाय प्रतिमाओं को स्थापित किया जाता है। पंडालों में विभिन्न सामाजिक, सांस्कृतिक और पर्यावरणीय विषयों पर आधारित सजावट की जाती है, जो लोगों का ध्यान आकर्षित करती है।
Ganesh Chaturthi 2024 पर्यावरण के प्रति जागरूकता
पिछले कुछ वर्षों में, पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी गणेश चतुर्थी के आयोजन में कई बदलाव देखे गए हैं। प्लास्टर ऑफ पेरिस (POP) से बनी प्रतिमाओं के बजाय अब मिट्टी से बनी पर्यावरण-मित्र गणेश प्रतिमाओं का प्रचलन बढ़ा है। साथ ही, विसर्जन के दौरान जलस्रोतों को प्रदूषित होने से बचाने के लिए ‘कृत्रिम जलाशयों’ का भी उपयोग किया जा रहा है।
Ganesh Chaturthi 2024 भविष्य की चुनौतियाँ और संभावनाएँ
हालांकि गणेश चतुर्थी का पर्व पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है, लेकिन इसके साथ ही इसके व्यावसायीकरण और पर्यावरण पर इसके प्रभाव को लेकर चिंताएँ भी बढ़ी हैं। ऐसे में आवश्यक है कि हम अपनी सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करते हुए इसे और अधिक पर्यावरण-मित्र और सामाजिक रूप से जिम्मेदार बनाएं।Ganesh Chaturthi 2024