October 18, 2024

Jammu and Kashmir : घाटी की सियासत में बीजेपी पीछे क्यों ?

Jammu and Kashmir

‘नया कश्मीर’ का वादा क्यों नहीं आया काम ?

370 को खत्म करने के बाद क्या रहे कश्मीर के हालात ?

क्यों रही लोगों में नाराजगी ?

Jammu and Kashmir : घाटी की सियासत में बीजेपी पीछे क्यों ?अगस्त 2019 में केंद्र सरकार ने अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया और जम्मू-कश्मीर का न सिर्फ विशेष राज्य का दर्जा खत्म किया, बल्कि इसे केंद्र शासित प्रदेश भी बना दिया। ये सब करने के बाद जम्मू-कश्मीर में कई महीनों तक कई प्रतिबंध लागू रहे।

जब स्थिति थोड़ी सामान्य होने लगी तो मोदी सरकार ने विकास, नौकरियां और सुरक्षा के नाम पर ‘नया कश्मीर’ का वादा रखा। हालांकि, अनुच्छेद 370 हटाने से लोगों को जो नुकसान हुआ, उसकी भरपाई करने की कोशिशें बहुत कम हुईं। जिसका असर भी यदा—कदा देखने मिला।

दूसरी ओर, फारूक अब्दुल्ला की नेशनल कॉन्फ्रेंस और महबूबा मुफ्ती की पीडीपी ने 370 को ‘कश्मीरी अस्मिता’ से जोड़ दिया। इस कदम को कश्मीर विरोधी बताया। ऐसा माना जाता है कि अब भी सिर्फ कश्मीर ही नहीं, बल्कि जम्मू की भी एक बड़ी आबादी 370 हटाने के खिलाफ है। बीजेपी के ‘नया कश्मीर’ में सुरक्षा पर ज्यादा जोर दिया गया। सरकार ने आतंकवाद, अलगाववाद और पत्थरबाजी के खिलाफ जो कार्रवाई की, उसका लोगों ने स्वागत किया। लेकिन दूसरी ओर ऐसा भी महसूस किया गया कि अभिव्यक्ति की आजादी को दबाया जा रहा है। ये आम धारणा बनाई गई कि असहमति को दबाने के लिए डराया जा रहा है. इस कारण कश्मीर घाटी में बीजेपी वैसी नहीं उभर पाई, जैसी उसे उम्मीद थी।Jammu and Kashmir

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