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मांडू की विशाल 15 इंच की इमली का क्या है वैज्ञानिक नाम,जानें,कैसे आई भारत ?

मांडू की मध्यप्रदेश में ही नहीं बल्कि पूरे भारत में प्रसिद्ध है यह मांडू की इमली इसकी आकार और औषधी गुण बनाते है इसे खास...

भोपाल,अंकिता सुमन। इमली तो हम सब ने ही कभी न कभी खाई होगी। लेकिन, क्या आपने कभी 15 इंच की इमली देखी या खाई है,अगर नहीं तो आज हम आपको मांडू की विशाल आकार की इमली के बारे में बताने जा रहे हैं। यह अनोखी विचित्र इमली मध्य प्रदेश के ऐतिहासिक नगरी मांडू में पाई जाती है। इसे खुरासानी या बाओबाब इमली भी कहते हैं। यह मांडू की विरासत है इसका स्वाद और आकार और इस इमली के औषधि गुण इसे आम से खास बनाते हैं। इस इमली को लेकर कई रोचक बाते हैं जिन्हें आज हम इस लेख में जानेंगे

मांडू की इमली की उत्पति

सबसे पहले बात करते है कि मांडू की इस विशेष खास बड़े आकार की इमली की उत्पति कैसे हुई। यह भारत में कैसे आई। कहा जाता है कि इस इमली को 14 वीं शताब्दी में भारत लाया गया। इसे अफ्रीका से भारत महमूद खिलजी के शासनकाल में लाया गया था।

इमली का वैज्ञानिक नाम

साथ ही इस इमली के नाम भी इस इमली को खास बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ते। इसकी चर्चा हम पहले भी कर चुके हैं। खुरासानी, बाओबाब साथ ही इसे मांडव इमली भी कहा जाता है। लेकिन इसका वैज्ञानिक नाम Tamarindus indica है। इसे लेकर एक रोचक बात इस की बनावट भी है। यह पेड़ दिखने में ऐसा लगता है मानो जिसने भी इस पेड़ को लगाया है उल्टा कर के लगाया है।

मांडू की इमली के औषधीय गुण

मांडू की इस इमली में कई औषधीय गुण पाए जाते हैं। इसमें विटामिन सी भरपूर मात्रा में पाया जाता है। मांडू की बाओबाब इमली पेट से संबंधित परेशानी को दूर करने में असरदार होती है।यह पेट के रोगों के लिए किसी औषधी से कम नहीं।

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