धर्म/अध्यात्म

शरद पूर्णिमा की रात क्यों रखी जाती है चांद की रोशनी में खीर?

आज 6 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा है , इस दिन चांद की रोशनी में खीर रखने की पूरानी परंपरा है. चालिए क्यों रखी जाती है इस दिन चांद की रोशनी में खीर जानते हैं...

भोपाल। शरद पूर्णिमा हिन्दू धर्म में बहुत ही महत्वपूर्ण मानी जाती है। इस दिन लड्डू गोपाल की पूजा की जाती है। इस दिन चांद अपनी सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है। ऐसा माना जाता है कि इन कलाओं से निकलने वाली चाँदनी में औषधीय गुण होते हैं, जो शरीर और मन के लिए लाभदायक हैं।कहा जाता है कि इसी दिन कृष्ण ने महारास भी किया था।

खीर को चंद्रमा की रोशनी मे लगने की परंपरा

शरद पूर्णिमा की रात में दूध और चावल से बनी खीर को खुले आसमान में चंद्रमा की रोशनी में रखा जाता है। मान्यता है कि चंद्रमा की किरणें उस खीर में औषधीय गुण भर देती हैं,जो सेहत के लिए काफी हेल्दी अमृत के समान मानी जाती है।शरद पूर्णिमा पर चाँदनी में रखी गई खीर खाना आध्यात्मिक ऊर्जा, स्वास्थ्य लाभ और परंपरा का एक अनोखा संगम है। इ स खीर को खाने से होने वाले स्वस्थ लाभ की बात करें तो

सेहत के लिए लाभदायक

कहा जाता है कि शरद ऋतु में मौसम में बदलाव आता है और शरीर को प्रतिरोधक क्षमता की ज़रूरत होती है।दूध, चावल और इलायची से बनी खीर पोषण से भरपूर होती है। और रात में चांद की चाँदनी में ठंडी हुई खीर शरीर को ठंडक देती है यह शरीर के लिए बहुत लाभदायक होती है।

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