Janmashtami 2024 : 5251 पूर्व जन्मे थे भगवान श्री कृष्ण जन्मोत्सव, व्रत इस वर्ष एक ही दिन पूरे विश्व में मनाया जाएगा। इस साल तीनों स्वरूपों में होने के कारण यह त्रियोगी जन्माष्टमी मानाई जाएगी। इस वर्ष जन्माष्टमी के ग्रह योग एवं नक्षत्र का प्रभाव स्मार्तजन एवं वैष्णोजन के बीच मतभेद को समाप्त करता है यह इसलिए हो रहा है कि इस वर्ष मंगलवार की रात्रि में रोहिणी नक्षत्र जो की स्मार्तजन मानते हैं एवं अष्टमी तिथि जो की वैष्णो जन मानते हैं दोनों मंगलवार की रात्रि में विद्यमान है जिससे पूरे भारत देश के साथ विश्व में भी मंगलवार को सभी संप्रदाय एवं पंथ्यों को मानने वाले यह व्रत एक साथ कर सकेंगे, ऐसी स्थिति 30 वर्ष बाद बन रही है।Janmashtami 2024
कौन सा वां कृष्ण अवतरण दिवस मना रहे
ज्योतिष मठ संस्थान के संचालक पंचांगकार पंडित विनोद गौतम ने बताया की श्रीमद् भागवत पुराण के अनुसार भगवान श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद कृष्ण पक्ष में अर्धरात्रि काल के समय वृष राशि के चंद्रमा एवं रोहिणी नक्षत्र की उपस्थिति में वृष लग्न में हुआ था। जिस समय पर आकाशीय ग्रह पंच महायोग का निर्माण कर रहे थे एवं पांच ग्रह स्वराशी में विचरण रत थे ऐसे योग संयोग में भगवान प्रगट हुए थे इस वर्ष हम सब भगवान श्री कृष्ण जी का 5251 अवतरण दिवस मना रहे हैं ।ऐसे ही योग संयोग इस वर्ष बन रहे हैं, मंगलवार को अर्धरात्रि के समय अष्टमी तिथि, रोहिणी नक्षत्र, वृष लग्न, वृष राशि पर चंद्रमा एवं सिंह राशि पर सूर्य तथा कुंभ राशि पर शनि होंगे साथ ही सर्वार्थ सिद्धि योग, स्वास्थिर योग, ध्रुव योग, जयंती योग भी रहेगा। अर्थात द्वापर युग के योग संयोग कलयुग में बन रहे हैं ।Janmashtami 2024
भगवान श्री कृष्णा महायोगी 16 कलाओं के ज्ञाता थे
भगवान श्री कृष्णा महायोगी 16 कलाओं के ज्ञाता थे उन्होंने भागवत गीता में संदेश प्रदान कर सत्य शिक्षा संस्कार भक्तों को प्रदान किया, जिससे भारतीय संविधान की रचना को सरल सहज बनाया जा सका इस कारण भारतीय संविधान का सर्वप्रथम नीति निर्धारक भगवान श्री कृष्ण जी को ही माना गया है Janmashtami 2024
पंडित गौतम के अनुसार
पंडित गौतम के अनुसार भगवान श्री कृष्ण जी पूजन पद्धति मैं श्रद्धा, विश्वास, एवं प्रेम को मान्यता देते हैं। श्रद्धा भक्ति के साथ प्रातःकाल जन्मोत्सव व्रत पूजा का संकल्प करने के पश्चात भगवान को बाल भोग लगाएं ,दोपहर का भोजन प्रसादी अर्पण कर ,शाम को संध्या आरती उतार कर पूजन करें, यह आपकी व्रत संकल्प पूजा होगी पश्चात व्रतोत्सव में इस वर्ष रात्रि 8:40 से रोहिणी नक्षत्र एवं सर्वार्थ सिद्धि योग के साथ पूजा मुहूर्त प्रारंभ हो जाएगा। रात्रि 12:00 बजे अर्धनिशा काल में भगवान के प्रतीकात्मक बाल स्वरूप की पूजा करने का विधान है सर्वप्रथम भगवान को शुद्ध जल पंचामृत आदि से स्नान कराने के पश्चात सुंदर वस्त्र धारण कराने चाहिए। इत्र ,श्रृंगार करके, हल्दी ,चावल केसर चंदन आदि से तिलक करना चाहिए, पश्चात भोग अर्पण कर महाआरती करने का विधान है ।भगवान को दूध, दही,माखन, मिश्री ,पंजीरी, मीठी पूडी, केला, खीरा आदि प्रिय है अतः प्रिय वस्तुओं का भोग यथा शक्ति उपलब्धता के अनुसार करना चाहिए पश्चात क्षमा प्रार्थना कर पुष्पांजलि अर्पित करना चाहिए ओम नमो भगवते वासुदेवाय द्वादशश्री मंत्र का जाप भी फलदाई होता है ।Janmashtami 2024