Chanderi Jauhar : रानी पद्मावती के जौहर से कम नहीं है ये चंदेरी की रानी मणिमाला का जौहर…
चंदेरी अपनी साड़ी के साथ ही अपने प्रचीन इतिहास को लेकर भी फेमस है। यहां रानी मणिमाल के साथ 1600 रानियों ने एक साथ जौहर कर अपने प्राणों का बलिदान दे दिया था...

भोपाल।जौहर का नाम सुनते ही हमें चित्तौड़ की रानी पद्मावती का नाम जरूर याद आता है पर क्या आपको रानी मणिमाला का चंदेरी जौहर के बारे में पता है। मध्यप्रदेश के अशोकनगर जिले की ऐतिहासिक नगरी चंदेरी अपनी सुंदरता और चंदेरी साड़ी के लिए तो फेमस है ही लेकिन,यहां रानी मणिमाला की जौहर स्मारक इतिहास के पन्नों में पीछे जाकर रानी मणिमाला के साथ ही उन 1600 वीरगंनाओं का जौहर याद दिलाता है।
1528 ईस्वी में चंदेरी पर राजा मोदिनीराय राज्य करते थे। कहा जाता है कि ,उसी समय बाबर की सेना ने चंदेरी पर आक्रमण कर दिया। आक्रमण के बाद युद्ध चला। युद्ध में कई सैनिक को वीरगति प्राप्त हुई। बाबर की सेना ने चंदेरी के किले को चारों तरफ से घेर लिया उस समय राजा ने रानी मणिमाला से आखिरी बार विदा लेकर युद्ध के मैदान में आए।
कहा जाता है कि युद्ध के दौरान राजा मेदिनीराय बहुत ही घायल होकर गिर पड़े और दूसरी तरफ रानी मणिमाला के पास राजा के हार की सूचना पहुँचती है। तो उन्होंने अपने पतिव्रत धर्म की रक्षा के लिए 29 जनवरी सन् 1528 की रात को रानी मणिमाला ने 1600 रानियों सहित महल के पास बने ताल में जौहर कर अपने जीवन की आहूति दे दी।और वीरगति को प्राप्त हुईं।
कब बना चंदेरी जौहर स्मारक
1588 में ग्वालियर के राजा जीवाजी राव शिंदे आलीजाह बहादुर के राज्य में रानी मणिमाला का जौहर को याद करते हुए, जौहर स्मारक बनवाया था। यह स्मारक हमें उन बहादुर वीरांगनाओं की याद दिलाता है। इस में कुछ चित्र बने हुए है। जो हमें उस दिन के इतिहास की याद दिलाता है