उज्जैन की 2000 साल पुरानी बाटिक कला,प्रिंट से पहले गर्म मोम लगाया जाता है कपड़े पर…
उज्जैन की गलियों में आज भी जीवित है बाटिक छपाई — गर्म मोम से कपड़े पर डिज़ाइन बनाकर रंगने की प्राचीन तकनीक।

उज्जैन का भैरवगढ़ प्रिंट पूरे भारत में प्रसिद्ध है।इस प्रिंट को करने के लिए मोम को गर्म करके लगाया जाता है। मोम हटने पर उभरते हैं सुंदर पैटर्न, जिनमें परंपरा और धैर्य झलकता है। उज्जैन के बाज़ारों में आज भी ये बाटिक प्रिंटेड वस्त्र और सजावटी वस्तुएँ संस्कृति की इस विरासत को संजोए हुए हैं
महाकाल की नगरी उज्जैन कई चीजों के लिए फेमस है। साथ ही यह अपनी 2000 साल पुरानी बाटिका कला को लेकर भी फेमस है। यह कला कॉटन रेशमी और जॉर्जेट के कपडे पर मोम से की जाती है। इस उज्जैन का भैरवगढ़ प्रिंट को नाम से भी जाना जाता है।
बाटिका छपाई करने के लिए सबसे पहले जिस भी कपड़े पर यह आर्ट बनाना होता है। उस कपड़े को रंग दिया जाता है। उसके बाद जिस जगह पर यह आर्ट की डिजाइन बनाई जाती हैं। बस उतनी जगह पर मोम को गर्म करके लगाया जाता है। जिसके बाद जहां मोम लगी होती है वहां यह आर्ट किया जाता है।बता दें, इस प्रिंट को जीआइ टैग मिलने से यहाँ कई घरों को आर्थिक उन्नति का अवसर मिला है।