चंदेरी जौहर : चितौड़ में रानी पद्मावती जौहर के जौहर कुंड के बारे में तो आपने जरुर सुना ही होगा, जिस पर पद्मावत मूवी भी बनी है। लेकिन शायद ही आपने मध्यप्रदेश के अशोकनगर जिले की इतिहासिक नगरी चंदेरी की रानी मणिमाल के जौहर कुंड के बारें में सुना होगा। क्योंकि समय के साथ यहा के लोगों ने रानी मणिमाला के बलिदान को भुला दिया साथ ही इतिहासकारों ने भी चंदेरी के जौहर कुंड की घटना को इतना महत्व नहीं दिया। इसी कारण से दुनिया भर में चंदेरी, चंदेरी साड़ी को लेकर तो प्रसिद्ध है लेकिन रानी मणिमाला और चंदेरी जौहर के बारें में बहुत कम लोग जानते है। अगर आप भी चंदेरी के जौहर कुंड के बारें में नहीं जानते तो आज हम आपको इस लेख के जरिए चंदेरी के जौहर और रानी मणिमाल और उनके साथ की रानियों के बलिदान के बारें बताएंगे।चंदेरी जौहर
1528 में मुगलों ने चंदेरी किया आक्रमण
बात उस समय की है जब चंदेरी में राजा मेदिनी राय राज्य करते थे। तभी मुगल आपना शासन पूरे भारत में फैला रहे थे । इसी के चलते सन् 1528 में मुगलों ने चंदेरी पर भी आक्रमण कर दिया।युद्ध कई समय तक चलता रहा एक दिन आचानक राजा मेदिनी राय युध्द करते समय घायल होकर जमीन पर गिर पड़े तो बाताया जाता है कि उनके सहायक जो युद्ध में उनके साथ थे उन्होंने राजा को एक सुरक्षित स्थान पर ले जाकर ऱखा । इतने में बाबर ने अपनी विजय पाताका चंदेरी के किले पर लहरा दी और रानी मणिमाला के पास राजा की मुत्यु की खबर पहुचा दी। साथ ही संधि करने को कहा। चंदेरी जौहर
आखिर क्यों रानी मणिमाल ने किया जौहर
जब रानी मणिमाला ने राजा की मत्यु का संदेश सुना तो उन्होंने तो उन्होंने संधि करने के लिए माना कर दिया। उन्होंने सोचा की इस राज्य को बाचाने के लिए राजा ने अपना बलिदान कर दिया लोगों औरतो ने अपने पति खो दिए बच्चों ने अपने पिता खो दिए । अब संधि करने क्या फायदा जिन वीरों ने अपना बलिदान दिया है उन वीरो को अपमान होगा । यह सोच कर रानी ने संधि करने से माना कर दिया । यह सुनकर बावर को गुस्सा आया और उसनें किले पर चढाई शुरु कर दी रानी ने अपना और अपने राज्य की महिलाओं की आबरु मान सम्मान बचाने के लिए उन्होंने किले के पास जौहर कुंड तैयार करवाया और रानी मणिमाला सहित कई रानी और महिलाओं ने जौहर कुंड अपनी जान दे दिया । इस जौहर कुंड को दुनिया का सबसे बड़ा जौहर कुंड कहा जाता है।इस जौहर कुंड के कारण बावर जीतकर भी हारा महसूस कर रहा था और वाकई में बावर जीत कर भी हार गया और रानी मणिमाल हार कर भी जीत गई । चंदेरी जौहर
1588 में रानी मणिमाल जौहर स्मारक
रानी मणिमाल के बलिदान को याद करते हुए ग्वलियर के पुरातत्व विभाग ने श्रीमंत सदाशिव राव पवार होम मेंबर के कहने पर 1588 में ग्वालियर नरेश जीवाजी राव शिंदे आली जाह बहादुर के राज्यकाल में एक जौहर स्मारक को बनवाया गया था। इस स्मारक में एक पत्थर लगाया गया है। जिसमें जौहर कुंड में रानियों की बलिदान देते हुए चित्र बनाया है। साथ ही नीचे बावर और राजा मेदिनी राय की सेना का युध्द करते हुए एक चित्र बनाया है गया है। वही ऱानी शिव पूजन करते हुए चित्र बनाया गया है। इस स्मारक के आसपास कई पेड़ पौधे लागे हुए है। साथ ही किले के आसपास भी काफी अच्छा वातारण है 2005 में पुरातत्व विभाग ने इसके चारो और कैक्टस के पौधे लगाए थे क्योंकि कैक्टस के पौधे खूबसूरत होने के साथ-साथ कटीले होते है जो हमें उस दिल कोदहला देने वाली घटना की याद दिलाता है।चंदेरी जौहर