2025 Prayagraj Mahakumbh: कुंभ मेला और महाकुंभ का आयोजन प्राचीन काल से होता आ रहा है और इसे पवित्र स्नान, साधना और आस्था का प्रतीक माना जाता है।
महाकुंभ का इतिहास हिन्दू धर्म की पौराणिक कथाओं से जुड़ा हुआ है। इसके आयोजन की उत्पत्ति ‘देवता और राक्षसों के बीच समुद्र मंथन’ की घटना से मानी जाती है। पौराणिक कथा के अनुसार, जब देवताओं और राक्षसों ने अमृत प्राप्त करने के लिए समुद्र मंथन किया, तो अमृत कलश का एक कुछ हिस्सा देवताओं के पास और बाकी कुछ हिस्सा राक्षसों के पास गया। इस दौरान अमृत कलश को लेकर देवता व राक्षसों में संघर्ष हुआ और अमृत कलश को लेकर चार स्थानों पर युद्ध हुआ: हरिद्वार, प्रयागराज (इलाहाबाद), उज्जैन और नासिक। यही कारण है कि इन चार स्थानों पर ही महाकुंभ का आयोजन होता है। 2025 Prayagraj Mahakumbh
प्रत्येक कुंभ मेला 12 वर्षों में एक बार आयोजित होता है, जबकि महाकुंभ हर 12 कुंभ मेलों के बाद 144 वर्षों में एक बार होता है। महाकुंभ के आयोजन के दौरान करोड़ों श्रद्धालु, साधु और संत एकत्रित होते हैं और पवित्र स्नान करते हैं, जिससे उनका जीवन शुद्ध होता है और वे मोक्ष की प्राप्ति की कामना करते हैं। इसका उल्लेख विभिन्न पौराणिक ग्रंथों जैसे “महाभारत”, “पद्म पुराण” और “स्कंद पुराण” में किया गया है।
महाकुंभ के आयोजन में साधु-संतों की विभिन्न अखाड़ों में सदस्यता, धार्मिक प्रवचन, कीर्तन, योग, ध्यान सत्र और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होते हैं, जो इसे और भी विशेष बनाते हैं। महाकुंभ के दौरान विशेष स्नान पर्व होते हैं, जैसे माघ मेला, बसंत पंचमी, सोमवती अमावस्या आदि, जिन पर विशेष ध्यान दिया जाता है। शाही स्नान, जिसमें प्रमुख साधु-संत और अखाड़े के सदस्य पवित्र नदियों में स्नान करते हैं, का आयोजन भी एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। 2025 Prayagraj Mahakumbh
2025 का महाकुंभ प्रयागराज में होगा, जहाँ गंगा, यमुना और सरस्वती नदी के संगम पर पवित्र स्नान के लिए लाखों श्रद्धालु जुटेंगे।
इसके लिए प्रशासनिक तैयारियाँ पहले ही शुरू हो चुकी हैं। लाखों श्रद्धालुओं के आगमन को देखते हुए, वहाँ के बुनियादी ढाँचे को और मजबूत किया जाएगा। सुरक्षा, चिकित्सा, परिवहन, जलवायु और अन्य आवश्यक सेवाओं के इंतजाम किए जाएँगे ताकि श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े। 2025 Prayagraj Mahakumbh
2025 प्रयागराज महाकुंभ: आस्था, मोक्ष और भारतीय संस्कृति का अद्वितीय संगम
- by ICJ24
- December 3, 2024
- Less than a minute