होलिका दहन की रात मनोकामना पूर्ति की रात, इस मंत्र का करें जाप…
मनोकामनापूर्ति का मंत्र

होलिका दहन (Holika Dahan) फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को किया जाता है। होलिका दहन हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण और पवित्र पर्व है। होलिका दहन का मुख्य धार्मिक महत्व प्रह्लाद और होलिका की कथा से जुड़ा है। प्राचीन समय में राक्षसों की राजा हिरण्यकश्यप की बहन होलिका एक राक्षसी थी, जिसे वरदान प्राप्त था कि वह आग में न जल सकती है। हिरण्यकश्यप ने अपनी भक्ति में लीन पुत्र प्रह्लाद को मारने के लिए होलिका (Holi Festival 2025) को आदेश दिया। होलिका ने प्रह्लाद को अपनी गोदी में लेकर आग में बैठने का प्रयास किया, लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से प्रह्लाद बच गए और होलिका जलकर राख हो गई। यह समय आत्मशुद्धि और मानसिक शांति की प्राप्ति के लिए उपयुक्त माना जाता है। होलिका दहन का आयोजन सामूहिक रूप से होता है, जिससे समाज में एकता, भाईचारे और सद्भावना की भावना का प्रसार होता है। यह दिन लोगों को एक साथ लाने का अवसर देता है, जिससे समाज में सामूहिक सौहार्द्र बढ़ता है।
होलिका दहन का वैज्ञानिक और प्राकृतिक दृष्टिकोण से भी महत्व है। यह आग से जुड़ा हुआ पर्व है, और आग के माध्यम से सभी नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त करने की प्रक्रिया को दिखाया जाता है। यह वह समय होता है जब हम अपने जीवन में नई ऊर्जा और सकारात्मकता का स्वागत करते हैं।
मनोकामनापूर्ति का मंत्र
पंडित कुंज बिहारी शास्त्री के अनुसार होलिका दहन की रात को हम थोड़ी सी साधना करके अपने जीवन के महत्वपूर्ण लक्ष्यों की प्राप्ति कर सकते हैं। होलिका की रात 12 बजे स्नान करके शुद्ध वस्त्र पहनकर आसन बिछााकर अपने पूजा स्थल में घी का दीपक प्रज्चलित करें और मन,कर्म, वचन से हनुमान जी में आस्था रखकर उनका ध्यान करें, उनसे अपनी मनोकामना कहकर उसके पूर्ण होने की प्रार्थना करें और तत्पश्चात रामायण की चौपाई “जेहि के जेहि पर सत्य सनेहु, सो तेहि मिलही न कछु संदेहु” का 108 बार पूरी श्रद्धा और आस्था से जाप करें। अगले दिन से जब तक आपकी कामना पूर्ण ना हो रोज कम से कम 11 बार इस चौपाई का स्मरण या जाप करें और अपने लक्ष्य प्राप्ति के लिए अपने प्रयासों को जारी रखें और मेहनत करते रहें। हनुमान जी की कृपा से शीघ्र ही आपकी कामना की पूर्ति अवश्य होगी।