होली की भाई दूज क्यों मनाई जाती है? जानें, इससे जुड़ी पौराणिक कथाएं
भाई दूज को लेकर कई कथाएं है

होली (Holi) और होली की भाई दूज के कुछ ही दिन बचें है भाई दूज (Bhai Dooj) का त्यौहार साल में दो बार आता है।एक बार दीवाली की भाई दूज और दूसरी बार होली की भाई दूज। भाई दूज भाई बहन के गहन प्रेम को दर्शाता है।इस दिन बहने अपने भाई को तिलक लगाती और मिठाई खिलाती हैं। भाई दूज को लेकर कई कथाएं है जिन में बताया जाता है कि भाई दूज कब से और क्यों मनाई जाती है।

यमराज और बहन यमुनाजी की कहानी
भाई दूज मनाने के पीछे की पहली पौराणिक कथा यमराज और उनकी बहन यमुनाजी से जुड़ी हुई है। पुराणों के अनुसार, यमराज अपनी बहन यमुनाजी से बहुत प्रेम करते थे। एक दिन यमुनाजी ने अपने भाई को अपने घर आमंत्रित किया और उन्हें भोजन पर बुलाया। यमराज ने अपनी बहन की बात मानी और उनके घर पहुंचे। यमुनाजी ने उन्हें अच्छा भोजन कराया और हर साल इस दिन अपने घर आने का आग्रह किया।यमराज ने अपनी बहन के प्रेम और सम्मान को देखकर वादा किया कि इस दिन हर भाई अपनी बहन के घर आएगा, और उसे किसी भी प्रकार की तकलीफ नहीं होगी, बल्कि उसकी लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना की जाएगी।
दूसरी पौराणिक कथा
दूसरी पौराणिक कथा के अनुसार एक भाई होली के दूसरे दिन अपनी बहन से मिलने उसके ससुराल जाता है। बहन के ससुराल जाते समय रास्ते में भाई को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।कई मुसीबतों से बचने के बाद उसको रास्ते में सांप और शेर मिलते हैं। जो भाई को खाने के लिए हमला करने वाले ही होते हैं कि भाई शेर और सांप को वचन देता है। कि वो पहले उसे उसकी बहन से मिलने दें,उसके बाद वो उसे खा सकते हैं।
भाई की इस बात को शेर और सांप मान जाते हैं।भाई बहन के घर पहुंचता है और रास्ते की सारी बात बता देता है। यह सुनकर बहन भाई को तिलक लगाकर मिठाई खिलाती है।और ईश्वर से भाई की रक्षा करने और लम्बी उम्र की प्रार्थना करती हैं।और जब भाई बहन के घर से अपने वचन को पूरा करने जाता है। उस समय सांप और शेर उसे खाने से इनकार कर देते हैं। बहन की प्रार्थना रंग लाती है और भाई के प्राण बच जाते हैं।तब से होली के बाद पड़ने वाली दूज भाई दूज के रूप में मनाई जाती है।